अवधनामा संवाददाता
नदीयों का संरक्षण सहित पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अहम कदम
रोजगार सृजन, राज्य को राजस्व व साल भर होगी रेत की उपलब्धता
सोनभद्र/सिंगरौली भारत सरकार की मिनीरत्न कंपनी नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) अब जल्द ही अपने ओवरबर्डन यानि आधिभार से रेत निर्माण शुरू करेगी। इस दिशा में एनसीएल ने अपनी अमलोरी परियोजना में प्लांट स्थापित कर लिया है। साथ ही संचालन संबंधी सभी मंजूरी भी हासिल कर ली गई है एवं एनसीएल अधोसंरचना कार्य में इस्तेमाल होने वाली एम-सैंड(रेत) का निर्माण करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
इस प्लांट के माध्यम से एनसीएल प्रति दिन 1000 क्यूबिक मीटर रेत बनाएगी जिसके लिए 1429 क्यूबिक मीटर अधिभार का उपयोग किया जाएगा। इस प्रकार एनसीएल सालाना लगभग 3 लाख क्यूबिक मीटर एम-सैंड(रेत) का उत्पादन करेगी। एनसीएल की वित्त वर्ष 22-23 में विशालकाय 410 मिलियन क्यूबिक मीटर अधिभार (ओबी) को हटाने की योजना है। एनसीएल अपने सालाना कोयले का लगभग 4 गुना अधिभार निकालती है।
व्यावसायिक विविधीकरण की दिशा में एनसीएल के इस कदम से नदियों के कटाव में कमी आएगी व मृदा एवं जलीय पारिस्थितिक तंत्र संरक्षण को बल मिलेगा। एनसीएल, निर्मित रेत (एम-सेंड) की कम दरों पर ई-नीलामी करेगी, जिसकी अगले महीने शुरू होने की संभावना है। यह पहल प्राकृतिक संसाधनों के अनूकूलतम उपयोग को बढ़ावा देते हुए खनन के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने में सहायक होगा। एनसीएल की यह योजना केंद्र एवं राज्य सरकार की किफ़ायती दरों पर सभी पात्र वर्गों को पक्का घर सुनिश्चित करने के लक्ष्य से भी प्रेरित है । एनसीएल का यह अभूतपूर्व कदम स्थानीय हितधारकों के लिए रोजगार सृजित करेगा व राज्य के राजस्व में योगदान भी देगा।
एनसीएल की इस नई पहल को सीएमडी एनसीएल श्री भोला सिंह ने सिंगरौली परिक्षेत्र के लिए मील का पत्थर बताया है और कहा है कि यह सरकार, पर्यावरण व हितग्राहियों सभी के लिए लाभकारी होगी। साथ ही यह पहल प्रधानमंत्री विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद (पीएम-एसटीआईएसी) के ‘वेस्ट टू वेल्थ’ मिशन में एनसीएल का योगदान भी है । उन्होने कहा एनसीएल देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के साथ कोयला उद्योग में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
एनसीएल इस संयंत्र की सफल शुरुआत के बाद अपनी अन्य परियोजनाओं में भी एम-सैंड बनाने वाली इकाइयों की स्थापना पर विचार कर सकती है। साथ ही एनसीएल अपने अधिभार का अध्ययन करा उसमें उपलब्ध सिलिका से सौर पैनल, ग्लास, जीआरपी पाइप और अन्य उत्पाद बनाने की संभावना तलाश रही है ।
एनसीएल की यह पहल सतत एवं दीर्घकालिक विकास को समर्पित है। जिसके तहत कंपनी ईको पार्क, सोलर प्लांट, एवं ऊर्जा दक्षता जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कार्य चल रहा है। गौरतलब है कि एनसीएल को चालू वित्त वर्ष 2022-23 में 122 मिलियन टन कोयला उत्पादन और प्रेषण लक्ष्य सौंपा गया है। एनसीएल ने उत्पादन एवं प्रेषण दोनों में ही 100 मिलियन टन के आंकड़े को पार कर लिया है।