व्यापारियों-उद्यमियों पर अब जांच के बाद ही होगी एफआइआर: मुख्यमंत्री योगी

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लखनऊ। शासन ने उद्यमियों व निवेशकों को उत्पीडऩ से बचाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया है कि उद्यमियों व व्यापारियों के विरुद्ध किसी शिकायत पर प्रारंभिक जांच के बाद ही एफआइआर दर्ज की जाए। डीजीपी मुख्यालय ने इसे लेकर जिला पुलिस को विस्तृत निर्देश दिए हैं। उद्यमियों व व्यापारियों को अनावश्यक शिकायत कर उनका उत्पीडऩ किए जाने के मामलों के दृष्टिगत यह निर्णय किया गया है।
पुलिस भी उद्यमियों व व्यापारियों को कार्रवाई का भय दिखाकर उनका उत्पीडऩ करती है। निर्णय से फर्जी एफआइआर दर्ज कराने की शिकायतों में कमी के साथ ही निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा। यह भी स्पष्ट किया गया है कि ऐसे प्रकरण जिनमें शिकायती प्रार्थना पत्र से संज्ञेय अपराध का होना स्पष्ट है, उन मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुरूप तत्काल एफआइआर दर्ज होगी।
प्रदेश में कारोबार में सहूलियत देने की दिशा में कोई अवरोध न उत्पन्न न हो, इसे सुनिश्चित कराने के लिए पहले शिकायतों की जांच होगी। स्पेशल डीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार का कहना है कि उद्यमियों, व्यापारियों, शैक्षणिक संस्थानों, चिकित्सालय, भवन निर्माताओं, होटल-रेस्त्रां और अन्य उद्यमों के मालिक व प्रबंधन स्तर के कर्मचारियों का किसी प्रकार का उत्पीडऩ न हो, इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप विस्तृत निर्देश दिए गए हैं।
डीजीपी मुख्यालय से पूर्व में जारी निर्देशों को समायोजित करते हुए नए दिशा-निर्देश दिए गए हैं। ऐसे प्रकरण जो सिविल प्रकृति के हैं, व्यावसायिक विवाद से संबंधित हैं तथा प्रतिष्ठान/संस्थान में आकस्मिक दुर्घटना से जुड़े हैं, ऐसे मामलों में एफआइआर से पूर्व प्रारंभिक जांच करने की एक औपचारिक प्रकिया निर्धारित की गई है। ऐसे मामलों में पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा कि शिकायतपत्र में नामित आरोपित का घटना से प्रत्यक्ष संबंध है कि नहीं।
यह भी देखा जाएगा कि आरोपित को किसी व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता, विवाद अथवा मनमानी के कारण तो नामजद नहीं किया जा रहा है, या फिर कोई अनावश्यक दबाव बनाने व अनुचित लाभ लेने के लिए तो उसे फंसाया नहीं जा रहा है। स्पेशल डीजी का कहना है कि इसका उद्देश्य सिविल प्रकृति के विवादों को आपराधिक रंग देते हुए एफआइआर दर्ज कराने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाना भी है।
साथ ही न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग कर एफआइआर दर्ज कराने वाले शिकायतकर्ताओं पर नियंत्रण किया जा सके। इससे निवेशकों के लिए प्रतिकूल वातावरण होने से बचा सकेगा। जिन मामलों में संज्ञेय अपराध स्पष्ट होगा, उनमें तत्काल एफआइआर दर्ज कर विधिक कार्रवाई सुनिश्चित कराई जाएगी। प्रदेश में उद्यम व व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने इससे पहले भी कई सुधारात्मक कदम उठाए हैं, जिनमें उद्योग लगाने के लिए 25 नई नीतियां भी लागू की गई हैं।

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