मौदहा में बिक रहे अमानक पानी पाउच, रुपए खर्च कर उपभोक्ता खरीद रहे बीमारियां

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शादी समारोह, बस स्टैंड और बाजार वाले इलाके में ज्यादा बिक्री, गांवों में भी खप रहा अमानक पानी ज्यादा मुनाफा के लिए दुकानदार भी अमानक पाउच की बिक्री पर देते हैं जोर।

हिफजुर्रहमान

मौदहा हमीरपुर। शादी समारोह हो या कोई और समारोह जिस में अधिक संख्या में लोग जमा होते हैं उन सभी महफिलों में पीनें के लिए पानी के पाऊच ही परोसे जाते है इसलिए पीने के पानी का कारोबार भी बढ़ता जा रहा है। बढ़ते कारोबार को देखते हुए मुनाफा कमाने के लिए अमानक पानी पाउच बेचने वाले सक्रिय हो गए हैं। ऐसे में लोगों की सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। नगर के किराना दुकान और छोटी ठंडा की दुकानों पर स्थानीय स्तर पर तैयार किए जा रहे पानी के पाउचों की बिक्री तेज हो गई है। एक रुपए में बिकने वाले पाउच अब पांच रुपए में दो बेचे जा रहे हैं। पन्नी में बंद पानी कहने को तो आइएसआइ मार्का वाला फिल्टर पानी है, लेकिन हकीकत में यह पानी स्थानीय स्तर पर पैक किया जा रहा है।

न एक्सपायरी न निर्माण की तारीख।

बाजार में मिलने वाले अधिकांश पानी पाउच में न तो पैकिंग तारीख अंकित होती है न एक्सपायरी डेट लिखी रहती है। यह पानी भले ही तात्कालिक रुप से लोगों के कंठ को तर कर राहत देने में मददगार साबित हो रहे हैं, लेकिन बाद में न जाने कितनी बीमारियों का कारण बन रही हैं। यह पानी पाउच खाद्य एवं औषधि विभाग से बिना अनुमति एवं नगरीय प्रशासन कार्यालय में रजिस्ट्रेशन कराएं बिना ही बेचे जा रहे हैं। इन अधिकांश पाउचों में न तो वाटर प्लांट का पता लिखा है न ही इमेल पता होता है। फिर भी यह नकली पाउच बाजार में धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं। ऐसे पानी के उपयोग से पीलिया, टाइफाइड, अल्माइजर आदि जैसी गंभीर बीमारियां होने की संभावना बनी रहती है।

अधिक मुनाफा के लिए बिक्री

ब्रांडेड पानी पाउचों की तुलना में मौदहा में अमानक स्तर के बने पाउच काफी सस्ते दामों में दुकानदारों को बेचे जाते हैं। इसलिए दुकानदार अपने फायदे के चक्कर में लोगों को दूषित पानी पिलाकर स्वास्थ के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक ब्रांडेड कंपनी के पानी पाउच की पैकिंग में 100 पाउच रहते हैं। वह दुकानदार को 50 से 60 रुपए में मिलती है जबकि नकली पानी पाउच की बोरी, जिसमें 100 पाउच होते हैं, अधिकतम 40 से 45 रुपए में मिल जाते है।
बिक रहे देशी पाउच भी

पानी के पाउच प्लॉट पर मशीन के माध्यम से पैक करके बेचे जाते हैं, लेकिन वर्तमान में जनपद में अनेक स्थानों पर घरों में पानी बनाकर बेचा जा रहा है। जिनमें बाजार में मिलने वाली सफेद पॉलीथिन को खरीदकर उसमें पानी भरकर धागा से बांध दिया जाता है और फ्रिज में रखकर उसी पानी को बेच दिया जाता है। खासतौर पर बस स्टैंड पर ऐसे देशी पाउच की बिक्री ज्यादा हो रही है।

आइएसआइ मार्का का दुरुपयोग

आइएसआइ मार्का का गलत तरीके से प्रयोग हो रहा है, तभी बीआइएस विभाग इस संबंध में कार्रवाई करता है। जबकि बाजार में अमानक पानी पॉउच के संबंध में कार्रवाई का अधिकार प्रशासन व खाद्य और औषधि विभाग के जिम्मे होता है। इसके बावजूद विभाग द्वारा अपनी जिम्मेदारी को पूरी तरह से नहीं निभाने के चलते जनपद वासियों को सदैव बीमारियों का डर बना रहता है।

यह हैं पाउच बेचने के नियम

किसी भी कंपनी को पानी के पाउच निर्माण के लिए प्रशासन द्वारा जारी लाइसेंस की जरूरत होती है। वहीं खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की अनुमति भी होना आवश्यक है। इसके अलावा पानी के पाउचों को पैकिंग तारीख दी जाती है। जिसमें उस तारीख से निर्धारित समयावधि की भी जानकारी देना अनिवार्य होता है। पैकेट पर नैचुरल, पारंपरिक और शुद्ध निर्माण जैसे शब्द कंपनियों द्वारा मनमाने तरीके से लिखे जा रहे हैं। निर्माता कंपनियां प्रोडक्ट की परिभाषा खुद तैयार कर ऐसे लुभावने शब्द लिखकर ग्राहकों से मनमाने दाम वसूल रही हैं। एफएसएसआइ नई दिल्ली ने कंपनियों पर नकेल कसने के लिए नेचुरल, शुद्ध सहित पारंपरिक परिभाषा तय की है। कोई कंपनी गलत दावा करती है, तो उसे 10 लाख रुपए तक जुर्माना देना पड़ सकता है। एफएसएसएआइ ने नए नियमों के पालन के आदेश संबंधित विभागों को दिए हैं।
इस सम्बन्ध में जब सहायक आयुक्त खाद् सुरक्षा अधिकारी डा0 गौरीशंकर से पूछा तो उन्होनें कहा कि
समय-समय पर सैंपल लिए जाते हैं, अमानक पाए जाने पर कार्रवाई की जाती है। यदि कहीं किसी निर्माता कंपनी द्वारा नियम का पालन नहीं किया जा रहा है, तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

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