मोदी जैसा कोई नही

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एस.एन.वर्मा
मो.7084669136

बहुत पहले टी.बी पर एक बहुत लोकप्रिय सीरियल आता था। शायद नाम था जस्सी जैसा कोई नहीं। आज के जमाने में अगर गांवों से कुछ आपका सम्पर्क है अगर आप दबे कुचले गरीब तबके के लोगो से सम्पर्क में है तो अगर उनसे देश की राजनीति, नेताओं ओर पार्टियों के बारे में बात करे तो आपको बीच-बीच में सुनाई पड़ेगा मोदी जैसा कोई नहीं। यह सुनकर हमें पन्डित नेहरू की याद आती है जिसके बारे में शिक्षित, अशिक्षित, गरीब सम्पन्न लोगो में बहुत सी कहानियां प्रचलित थी, जिसमें आदर भी था प्यार भी था। आज तो इलेक्ट्रानिक मीडिया और डिजिटल मिडिया का इतना जोर है कि कोई बात या इमेज गढी जानी है तो मिनटों में लाखों तक पहुंच जाती है। मोदी के बारे में बहुत सी बाते प्रचलित है, जैसा उनका योग, कुआरापन, धार्मिकता, मन्दिर, मस्जिद भ्रमण मन्दिरो में पूजा अर्चना तो मुसलमान भाइयों के साथ उन्हीं की टोपी लगा कर मिलना जुलना। उनके मन की बात की बाते, उनका नारा सबका साथ सबका विकास। यह सब मिलकर मोदी को लीडर तो बनाता ही है लोग उन्हें पसन्द करें या न करें पर उन्हें लगता है और कहते भी है मोदी जैसा कोई नहीं। गांव वाले कहते है हमें वह अपने से लगते है, उनका रहन-सहन वेशभूषा, पूजा-पाठ आम नागरिकों जैसा होता है। कोई आडम्बर नहीं न कोई गार्वोक्ति।
हाल में जो असेम्बली चुनाव हुये उसमें भाजपा ने पांच में से चार राज्यों में अपनी सरकारे बनाई। चुनाव के पहले किसी को यकीन नहीं था कि भाजपा इतना अच्छी उपलब्धि हासिल करेगी। क्योंकि मुल्क कोराना की वजह से बहुत अप्रिय हालात में था। दवाई की व्यवस्था, अस्पताल में पलंग की कमी, आक्सीजन सिलिन्डर कमी, बेपनाह मौते, नदियों में लाश का तैरना। हालाकि बाद सरकार ने बड़ें असरदार ठंग से इसे समभाला। पर उस समय तो सारी व्यवस्था के बीच मुद्राप्रसार और मंहगाई भी अपना जोर दिखा रही थी। पर इसके बावजूद कि विरोधी पार्टियां बराबर मुखर आलोचना करती रही, उन्हें विश्वास था चुनाव में भाजपा को भारी झटका लगेगा। यूपी में समाजवादी पार्टी सबसे ज्यादा उम्मीदों के साथ लड़ रही थी। पर नतीजा आया तो झटका विरोधी पार्टियों को लगा।
बोलने की कला में मोदी का कोई सानी नहीं है। बोलते ही वह जनता से सीधे जुड़ जाते है। लोगों को लगता है हमारे ही बीच का कोई हमारे सुख-दुख की बात कर रहा है। मोदी के पास पार्टी के स्कीमो, उपब्धियों के प्रचार के लिये अमित शाह, नड्डा और प्रधान के रूप में सशक्त प्रचारक है। मोदी की जनकल्याण योजनाओं को इन लोगों ने घर-घर पहंुचाया। उज्जवला योजना ने महिलाओं को संशक्त किया और महिलाओं में मोदी की लोकप्रियता में जबरदस्त इजाफा हुआ। अवसर के अनुरूप मोदी अपने को ढाल लेते है। मन की बात में कभी राजनीति की बात करते नहीं सुना गया। जैसे आशु कवि बिना तैयारी के तत्काल कोई भी कविता बना सकता है वैसे ही मोदी आशुवक्ता है। बिना किसी तैयारी के तत्काल वे किसी भी विषय पर बोल लेते है और इतना ही नही सुनने वालो के साथ तत्काल जुड़ जाते है। उनमें राजनीति कला है जिसके द्वारा लोगों का विश्वास जीत रक्खा है। यही राजनीति में उनकी पूजी है।
सीमान्त और गरीबों में कुशलता से लोककल्याण योजनाओं की मदद तत्परता से पहुचाने वाले लोग है। सीधे उनके खातों में नक़दी जमा करवाने से बिचौलियों का शोषण वमकर्त्ता को नहीं सहना पड़ता है। यह मोदी के प्रति उनमें विश्वास पैदा करता है।
मोदी ने जो स्कीम में बनाई लोगों के मदद के लिये वे उपयोगी योजनायें है। कुशल सहायको द्वारा लाभार्थियों को त्वरित गति से पहुंचाई जाती है। जिससे लाभार्थियों को बेकार की दौड़ धूप नहीं करनी पड़ती है। आने जाने वाले व्यय की बचत होती है। जो मोदी के लिये सदभाव पैदा करती है। मोदी शक्ति की राजनीति की जगह सामाजिक राजनीति पर जोर देते है। जो उन्हें समाज का चहेता बनाता है।
विधान सभा चुनाव में ममता ने भारी टक्कर दी। लगा ममता मोदी का प्रतिद्वन्दी बन कर उभरेगी। पर उन्होंने बंगाल राज्य में अपने को इतना सीमित कर लिया कि बाहर उनकी अवाज नक्कार खेने में तूती की आवाज बन कर रह गई। कई नेता चन्द्राबाबू नायडू, केसीआर मोदी का स्थानापन्न बनने के लिये जोर लगाया पर सब नेयथ्य में चले गये। क्योंकि मोदी मोदी है। दुनियां के नेताओं में लगातार तीन साल से लोकप्रियता के प्रथम सीढ़ी पर बने हुये है।

 

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