निर्मोही अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत राजेंद्र दास ने कहा, हमारी सरकार और कोर्ट से मांग है कि निर्मोही अखाड़े के पदेन महंत को कोर्ट के आदेश के अनुसार ट्रस्ट में उचित स्थान मिले। महंत राजेंद्र दास ने कहा कि 9 अगस्त को राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाते समय कोर्ट ने भी कहा है कि ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को उचित स्थान दिया जाए।
महंत राजेन्द्र दास ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा 9 अखाड़ों से मिलकर बना है। निर्मोही अखाड़े में पंचायती व्यवस्था है। यह अखाड़ों का एक समूह है। राष्टीय स्तर पर निर्मोही अखाड़ा के दो पद हैं। पहला, अध्यक्ष राजेन्द्र दास और दूसरा, हमारे गुरु महंत नंदराम दास। यह दोनों नाम चारों कुम्भों में भी दर्ज हैं। हमारी मांग है कि ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े के पदेन महंत को हमेशा शामिल करने की व्यवस्था की जाए।
महंत राजेन्द्र दास ने कहा, निर्मोही अखाड़ा सदियों से रामजन्मभूति का केस लड़ रहा है। बीच-बीच कई अखाड़े बनते रहे हैं।
लेकिन निर्मोही अखाड़ा ही सबसे प्राचीन है। महंत नंदराम दास ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, निर्मोही अखाड़ा ने रामजन्मभूमि के लिए दर्जनों बार लड़ाइयां लड़ीं। हमने कई आक्रमणों को झेला। जिनमें निर्मोही अखाड़ा के अनगिनत साधु-संतों ने अपना बलिदान दिया। कोर्ट ने हमारे त्याग और बलिदान को देखते हुए ही ट्रस्ट में उचित स्थान देने का आदेश दिया है। इसलिए ट्रस्ट में अखाड़े के दोनों राष्ट्रीय पदों को शामिल किया जाए।