लखनऊ। लखनऊ स्थित नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (नाईपर), रायबरेली द्वारा शुक्रवार को दवाओं के विकास में भविष्य की तकनीक पर ज्ञानवर्धन करने के लिए राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में देश के अलग-अलग क्षेत्रों से आए 200 से ज्यादा प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। गोमतीनगर के हिल्टन गार्डन इन होटल में आयोजित इस कार्यक्रम में औषधीय क्षेत्र में जाने-माने विशेत्रज्ञों द्वारा दवाओं के विकास में नवाचारों को बढ़ाने और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग पर चर्चा की गई।
जोडस एक्सपोम कंपनी के प्रेसिडेंट डॉ. तथागत दत्ता, ओर्टिव क्यू थ्री रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड के फाउंडर डायरेक्टर डा मुकेश कुमार, आईसीटी-मुंबई की फ्रोफेसर वंदना पत्रावले, कशिव बायोसाइंसेज एलएलसी के जनरल मैनेजर डॉ. वैभव दुबे, सीएसआईआर सीडीआरआई के सीनियर वैज्ञानिक डा अमित मिश्रा, सीएसआईआर-आईआईटीआर, लखनऊ के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. रामाकृष्णन पार्थसारथी सेमिनार में वक्ता के रूप में शामिल हुए।
इस सेमिनार में दवा विकास तकनीक में होने वाली प्रगति की जानकारी दी गई । वक्ताओं ने बताया कि दवा अनुसंधान में एआई का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया जा सकता है। बीमारियों के संपूर्ण इलाज में आने वाली चुनौतियों को आधुनिक नेक्स्ट जनरेशन तकनीक का इस्तेमाल करते हुए खत्म किया जा सकता है। सेमिनार में आए शोधकर्ताओं ने पोस्टर प्रजेंटेशन के जरिए नई तकनीकों, थेरेपी एवं मेडिकल डिवाइसेस को प्रदर्शित किया। सम्मेलन के अंत में नाईपर-रायबरेली की निदेशक प्रो. शुभिनी ए. सराफ ने सभी वक्ताओं एवं शोधकर्ताओं को धन्यवाद दिया।
ज्ञातव्य हो कि नाईपर- रायबरेली औषधीय अनुसंधान के क्षेत्र में राष्ट्रीय महत्व के अग्रणी संस्थानों में से एक है। भारत सरकार ने नाईपर को ‘राष्ट्रीय महत्व का संस्थान’ घोषित किया है। वर्तमान में संस्थान सरोजनी नगर, लखनऊ (यूपी) स्थित अपने ट्रांजिट कैंपस से शिक्षा प्रदान कर रहा है।