एस.एन.वर्मा
काफी अनुमान, सस्पेन्स, राजनीतिक विवाद के बाद आएसआई चीफ आसिम मुनीर को पाकिस्तान का आर्मी चीफ बना दिया गया। राष्ट्रपति ने इसको स्वीकृति दे दी है। पाकिस्तान में राजनैतिक माहौल भी गर्म है, पाकिस्तान आर्थिक रूप से भी मुशकिलो में है, महंगाई चरम पर है। जनता भी गुस्से में है। ऐसे में मुनीर को कई मुशकिलों का सामना करना पड़ेगा और उसका सही हल निकालना पड़ेगा।
पहले तो पाकिस्तान में आर्मी का जो रूतबा होता रहा है उसे वापस लाने के लिये उन्हे मशक्कत करनी पडेगी। इसका यह मतलब नही कि सेना की तानाशाही स्थापित करें। बजवा निवर्तमान जेनरल ने आखिरी समय में राजनीति में सेना के तटस्थ रहने की बात कही है। देखना होगा मुनीर इस पर कितना अमल कर पाते है। क्योंकि सेना अभी तक अपनी तनख्वाह, सहूलियत, पर्क पर कोई दखलान्दजी बरदाश्त नही करती रही है। नवम्बर 29 को बजवा चार्ज हैन्डओवर करेगे। मुनीर का अब तक का सेवा काल बेदाग रहा है। यह भी गौर करने की बात है कि पाकिस्तान में वर्षो से सेना, न्यायपालिका, आईएसआई और मुल्लावादी नेताओं का गठबन्धन है जो लोगो को गद्दी पर बैठाना और उतारने का खेल सिर्फ अपने स्वार्थो के लिये खेलते आ रहे है। इन्हें देश की चिन्ता कम रहती है अपने स्वार्थो की चिन्ता ज्यादा रहती है। देखना होगा मुनीर के आने से इस पर क्या असर पड़ता है। इमरान से मुनीर के टर्म ठीक नही रहे है। पर अब इमरान ने विरोधी रूख छोड़ दिया है।
भारत के लिये वजवा शत्रु और मित्र दोनो की तरह ऐक्शन लेते दिखे है। नवाज शरीफ जब भारत की ओर मित्रता का हाथ बढ़ा रहे थे तो उन्होंने नवाज शरीफ को जूडिस्पिल विद्रोह के माध्यम से हटवा दिया। पर चार साल बाद बजवा दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुये व्यापारिक सम्बन्ध कायम करवाने में अहम भूमिका निभाई। बजवा ने ही भारत पाकिस्तान के बीच 2003 के समझौते को लागू करवाकर एलओसी पर सीज फायर स्थापित करवाया।
नये जेनरल पुलवामा हमले के समय आईएसआई के चीफ थे। अब वे क्या करवाते है भारत को सजग रहना पड़ेगा। वैसे मुनीर के सामने अपने देश को लेकर ही काई कठिनाइयां कतारबद्ध है। पहले तो इस समय सेना की छवि बहुत धूमिल है उसे वापस लाना होगा। इमरान अपने समय में मुनीर से कुछ निजी बातों को लेकर नाराज़ थे। वर्तमान राष्ट्रपति इमरान के पार्टी के है इसलिये उन्होंने कहा था राष्ट्रपति मुनीर को स्वीकृति देने के पहले विचार करेगे। राष्ट्रपति इमरान से मिले और बात खत्म हो गई। इमरान मार्च में फिर भाग लेने जा रहे है। बजवा की राजनैतिक इन्जीनियरिग से आर्मी की छवि को जो चोट लगी है उसे मुनीर को ठीक करना होगा। आर्मी में इमरान के प्रति कुछ साहनुभूत भी बढ़ी है, इमरान की लोकप्रियता भी बढ़ रही है। इमरान ने भी मुनीर के प्रतिरूख नरम कर लिया है। पर पाकिस्तान में सेना का अपर हैन्ड बना रहेगा यह इमरान भी समझते है।
मुनीर को तहरीके तालिबान पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों से भी दो चार होना पड़ेगा। अफगानिस्तान से भी मुनीर को रिश्ते सुधारने होगे। अफगानिस्तान ड्ररेन्ड लाईन को नहीं मानता बाड़ेबन्दी का विरोध कर रहा है। बजवा ने अमेरिका से सम्बन्ध सुधारे थे जो इमरान की वजह से कटु हो गये थे। वित्तीय अनुदान भी अमेरिका से प्राप्त किया था मुनीर को भी सम्बन्ध बनाये गये रख अनुदान के लिया दरवाजा खुला रखवाना होगा। इमरान की वजह से चीन भी रूष्ट चल रहा था। मुनीर को चीन की नाराजगी भी दूर करनी होगी।
पाकिस्तान और भारत के सम्बन्ध में कुछ नर्मी वजवा कि समय ये ही शुरू है। मुनीर से उम्मीद है कि वे बढ़ायेगे। हलाकि आइएसआई चीफ होने से पहले उन्हें जो भी चार्ज मिला था वे भारत के विरोध के लिये ही थे।
पाकिस्तान में इस समय राजनैतिक उथल-पुथल है। इमरान का लम्बा मार्च इमरान को फिर आने की सम्भावना दिखा रहा है। जनता सेना से कुछ नाराज़ है। राजनिति के गतिविधियां पहले सेना के सामने दबी रहती थी पर अब मुखर होने लगी है। इन सबके बीच मुनीर को अपनी योग्यता और ग्रहयता दिखनी होगी। वह रचनात्मक साबित होते है या विध्ंवनसक समय बतायेगा अगर भारत के साथ सही दोस्ती कायम करवा सके सारी कदुत इस पार उस पार की मिटवा सके तो इस महाद्वीप के शानदार जेनरल में उनकी गिनती होगी। भारत की शुभकामनायें और बधाई।