नीट यूजी परीक्षा के कारण देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (डीएवीवी) इंदौर की पारंपरिक पाठ्यक्रमों की परीक्षाओं में बदलाव होगा। स्नातक प्रथम द्वितीय और तृतीय वर्ष की परीक्षाएं प्रभावित होंगी। 1 से 5 मई के बीच होने वाले पेपरों को आगे बढ़ाया जाएगा। संशोधित टाइम टेबल जल्द जारी किया जाएगा। आईएमएस आईआईपीएस और आईईटी संस्थानों को भी परीक्षा केंद्र बनाया गया है।
मई के पहले सप्ताह में होने वाली राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (नीट) के कारण देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (डीएवीवी) की पारंपरिक पाठ्यक्रमों की परीक्षाएं प्रभावित होंगी। इनमें स्नातक प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष की परीक्षाएं शामिल हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने 1 से 5 मई के बीच होने वाले पेपरों को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है।
अधिकारियों के मुताबिक नीट परीक्षा के लिए सरकारी और निजी कालेजों को परीक्षा केंद्र बनाया गया है। ऐसे में वहां स्नातक परीक्षाओं का आयोजन संभव नहीं है। इसी कारण परीक्षा कार्यक्रम में बदलाव किया जा रहा है। संशोधित टाइम टेबल आगामी तीन दिनों के भीतर जारी किया जाएगा।
कहां-कहां होगी परीक्षा?
राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने 1 से 5 मई के बीच नीट परीक्षा आयोजित की जाएगी, जिसमें इंदौर जिले से लगभग 28,000 छात्र-छात्राएं सम्मिलित होंगे। इनके लिए सरकारी और निजी कॉलेजों के अलावा डीएवीवी के आईएमएस, आईआईपीएस और आईईटी संस्थानों को भी परीक्षा केंद्र बनाया गया है, जिनमें लगभग दो हजार विद्यार्थियों की व्यवस्था की गई है।
टाइम टेबल कब आएगा?
अब विश्वविद्यालय प्रशासन को स्नातक तृतीय वर्ष (बीए-बीएससी), तथा प्रथम और द्वितीय वर्ष की परीक्षाओं को लेकर चिंता सताने लगी है, क्योंकि नीट के चलते लगभग 1.25 लाख विद्यार्थी प्रभावित होंगे।
इसी वजह से 1 से 5 मई के बीच होने वाली परीक्षाओं को आगे बढ़ाया जाएगा, जिसकी नई तिथियां 21 अप्रैल तक निर्धारित कर ली जाएंगी। इसके बाद संशोधित टाइम टेबल विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा।
परीक्षा विभाग के सहायक कुलसचिव डॉ. विष्णु मिश्रा ने बताया कि नीट परीक्षा को लेकर कलेक्टर आशीष सिंह का पत्र विश्वविद्यालय को प्राप्त हुआ है, जिसमें विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों को केंद्र के रूप में उपयोग करने के बारे में कहा।
परीक्षाओं को पुनर्निर्धारित करना आवश्यक
उन्होंने बताया कि नीट परीक्षा का आयोजन सरकारी और निजी कालेजों में भी किया जाएगा। ऐसे में विश्वविद्यालय की परीक्षाओं को पुनर्निर्धारित करना आवश्यक है। इस विषय में कुलपति डॉ. राकेश सिंघई से भी चर्चा की गई है।