लुप्त हो रही फाग गायन शैलियों का संरक्षण जरुरी

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Necessary conservation of fading singing styles

सात दिवसीय पारम्परिक फाग बैठकी का समापन

लखनऊ। (Lucknow) लुप्त हो रही फाग गायन शैलियों के संरक्षण हेतु आवष्यक कदम नहीं उठाये गये तो हमारी यह धरोहर काल कवलित होने की कगार पर खड़ी है। यह चिन्ता गुरुवार को लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा आयोजित सात दिवसीय फागोत्सव के समापन सन्ध्या में विद्वानों ने व्यक्त की। वरिष्ठ लोकगायिका प्रो. कमला श्रीवास्तव की अध्यक्षता में हुए कार्यक्रम के दौरान लोक साहित्य के मर्मज्ञ डा. रामबहादुर मिश्र ने व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अस्सी के दषक में उन्होंने गांव-गांव जाकर लगभग एक हजार पारम्परिक फाग गीतों को संकलित किया था जिसमें पचास से अधिक ऐसे गीत थे जिन्हें अवध क्षेत्र की केवल महिलायें ही गाती हैं। इन होरी गीतों में अधिकांषतः कामभावनाओं का उद्दीपन व रति विषयक सन्दर्भ तो मिलते ही हैं लोक भावनाओं की उन्मुक्त अभिव्यक्ति इसे सरस बनाती है।
फागोत्सव की शुरुआत गणेष होली से हुई। डा. विद्याविन्दु सिंह ने राम सीता के पंचवटी में होने वाली होली को लोक मन की उपज बताते हुए कहा कि ऐसे प्रसंग में हमारा लोक सीता व राम के साथ ही चलता है। उनके हर सुख दुःख को अपना समझता है। कार्यक्रम के दौरान स्वरा त्रिपाठी ने सिया निकली अवधवा की ओर कि होली खेलें रामलला गीत पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। उषा पांडिया ने अवध नगरिया छाई ये बहरिया, दया चतुर्वेदी ने राग विहाग में कौन मलो री गुलाल कपोलन, अम्बुज अग्रवाल ने झुक जाओ तनिक रघुबीर बन्नी मेरी छोटी सी, सुमति मिश्रा ने होली में नन्दकिशोर, मुक्ता चटर्जी ने कान्हा ने भिगोई मोरी सारी कहत राधा गोरी, डॉ. इन्दु रायजादे ने कइसे फागुन होरी खेलीं हो रामा सईयां नाहीं अइले, अंजलि सिंह ने फागुन के दिन चार होली खेल, पूनम कनवाल ने फगवा बृज देखन को चल री, आर.मीनाक्षी ने रंग डारो न कान्हा भीजत चुनरी, ज्योति किरन रतन ने खेलूंगी होली जरुर बलम चाहे झगड़ा करो, रिंकी सिह ने होरी खेलन आयो श्याम, रेख मिश्रा ने आज ये होरी खेलन आयो, सुमन ने भीजेला मोरी चुनरी, आषा सिंह रावत ने मोहन गिरधारी ऐसो अनाड़ी, गायत्री ठाकुर ने चलो कान्हा तुम्हें राधा बना दूँ, अपर्णा सिंह ने बरसाने की राधिका नन्दगांव के श्याम, नवनीता जफा ने देवर मोरी चुनरी पर डारो न रंग, सुधा ने खेलत पिया संग होरी रे, पार्वती यादव ने अयोध्यावासी राम पतित पावन जानकी जीवन सीता मोहन राम, निधि निगम ने नन्दलाला मारे जायें भरि-भरि पिचकारी, सरिता अग्रवाल ने ऐसो चटक रंग डारो, चित्रा जायसवाल ने श्रीराधे खेल रहीं होरी, प्रो. विनीता सिंह ने ज्ञान भक्ति प्रेम रंग घोल आईं, इन्दु सारस्वत ने सखी फागुन मास तथा मधु श्रीवास्तव ने होली के रंग में सराबोर सुमधुर गायकी से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।होली गीत गायन प्रतियोगिता के परिणाम:फागोत्सव के अन्तर्गत हुई मीरा गीत गायन प्रतियोगिता में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले शीर्ष दस प्रतिभागियों को पुरस्कृत करने की घोषणा हुई। पुरस्कृत होने वालों में भारती श्रीवास्तव, इन्दु सारस्वत, मधु श्रीवास्तव ‘शक्ति’, निधि निगम, नवनीता जफा, रीता श्रीवास्तव, रत्ना शुक्ला, रीता पांडेय, सरोज खुल्बे और प्रो. विनीता सिंह शामिल हैं।

लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने बताया कि कोरोना संकट के चलते पारम्परिक फाग की टोलियां अलग-अलग हिस्सों में न जाकर आनलाइन फागोत्सव के माध्यम से वर्चुअल मंच पर एकत्र हुईं। आयोजन से देष-विदेष से सैकड़ों लोग जुड़े और आयोजन को सराहा। उन्होंने कहा कि आगे भी ऐसे वर्चुअल मंच के सहारे लोक संस्कृति को जीवन्तता देने के प्रयास किये जायेंगे।

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