आज के युवा अपनी संस्कृति और आत्मसात करे तो ही राष्ट्र कल्याण – संतोष तिवारी

0
118

अवधनामा संवाददाता

प्रयागराज ।  प्रयागराज के युवा संतोष तिवारी (राष्ट्रीय मंत्री ‘यूथ फॉर नेशन’) ने भुबनेश्वर ओडिशा में दिनांक  14-15 अप्रैल 2022 को राष्ट्रीय कार्यकारिणी एवं युवा संवाद में प्रतिभाग किया ।
इस अवसर पर संतोष तिवारी ने भारतीय संस्कृति और आज का युवा विषय पर वक्तव्य प्रस्तुत किया। संतोष तिवारी ने वक्तव्य में कहा कि
‘विश्व की प्राचीन एवं महान सभ्यताओं तथा संस्कृतियों में से एक भारतीय संस्कृति के मूल आधार हैं । अहिंसा परमो धर्म, सत्यमेव जयते, अतिथि देवो भव, वसुधैव कुटुंबकम आदि भारतीय संस्कृति के मूल वाक्य  हैं। हमारे महापुरुषों एवं संस्कृति ने हमेशा अपने कल्याण से पहले परकल्याण की भावना को महत्व दिया । समाज कल्याण के लिए दधीचि द्वारा हड्डियां त्याग देना, राजा शुवि द्वारा कबूतर की रक्षा के लिए अपना मांस काटकर चढ़ा देना, कर्ण द्वारा अपना कवच कुण्डल इंद्र  को दान कर देना, राजा हरिश्चंद्र द्वारा वचन पालन के  लिये सर्वस्व बलिदान कर देना आदि उदाहरण भारतीय सभ्यता और संस्कृति की समृद्धि तथा महानता के उदाहरण हैं।
आज फटी जींस, सिगरेट के धुएं का छल्ला बनाना,  उल्टी टोपी, कान में बड़ी- बड़ी बाली, ऊंची एड़ी की सैंडिल, आंखों पर रंगीन चश्मा,  शरीर को ढकते कम  दिखाते ज्यादा उत्तेजक वस्त्र  आदि आज के युवाओं की पहचान हो गई है । इससे हमारी संस्कृति छिड़ होती जा रही है और पाश्चात्य संस्कृति आज के युवाओं पर हावी हो रही है। क्या इससे हमारी संस्कृति बच पाएगी । हमें युवाओं को अपनी पुरानी संस्कृतियों एवं परंपराओं की अच्छाइयों को समझाना चाहिए और उन्हें उसको आत्मसात करने के लिए प्रेरित करना चाहिए । इस अवसर पर ओडिशा विधानसभा अध्यक्ष डॉ सूर्य नारायण पात्रा जी, कालीकट विश्विद्यालय के कुलपति प्रो प्रफुल्ल कुमार मोहंती, कालाहांडी विश्वविद्यालय के कुलपति  प्रो संजय सत्यपति, यूथ फ़ॉर  संस्थापक एवं अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ महेश शर्मा, ओडिशा प्रदेश अध्यक्ष ममता बाजपेई, प्रदेश संयोजक सविता स्वाइन, पश्चिम बंगाल से मानवेंद्र शर्मा, भारत भूषण, राजस्थान से पंकज चतुर्वेदी, राजस्थान से हेमन्त शर्मा, दिल्ली से काशी पंडित , त्रिपुरा से तनुज शाह, आदि पूरे भारत से आये प्रतिनिधि उपस्थित थे।

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here