इटावा। दुग्ध प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति डॉक्टर आनंद कुमार के निर्देशन एवं डॉक्टर एन के शर्मा अधिष्ठाता डॉक्टर एन के शर्मा के नेतृत्व में “सतत् दुग्ध उत्पादन और प्रसंस्करण अभियंताओं के लिए भविष्य”विषय पर राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया।डॉ एन के शर्मा ने सभी प्रमुख वक्ताओं का स्वागत करते हुए अवगत कराया कि हमारे विद्यालय के डेरी विशेषज्ञों को इटावा में डेरी व्यवसाय से जुड़े किसानों की समस्याओं को जानकर उनका तकनीकी समाधान करते हुए डेरी उद्योग से होने वाले लाभों की विस्तृत जानकारी किसानों को उपलब्ध कराई जाए।डॉक्टर शर्मा ने अवगत कराया कि विश्वविद्यालय में वाह्य संस्थानो द्वारा वित्त पोषित इफेकेशी परीक्षण संपादित करने के लिए हिल वेंचर बायो साइंस एलएलपी द्वारा रोफिकेशी ट्रायल ऑफ इंसेंट प्रोटीन परीक्षण को मत्स्य महाविद्यालय में संपादित किए जाने की अनुमति कुलपति द्वारा प्राप्त हो गई है इस परीक्षण हेतु मत्स्य महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ अजीत सिंह को नामित किया गया है।
वेबीनार में मुख्य वक्ता के रूप में डॉक्टर एस बी सिंह,हेड,बनास डेयरी अमूल, उत्तर प्रदेश ने डेयरी फार्मिंग द्वारा ग्रामीण जीवन में सुधार एवं सामाजिक आर्थिक परिवर्तन और महिलाओं को स्वावलंबी बनाए जाने के लिए अवसर प्रदान करने की जरूर को बताया उन्होंने बताया कि अभी 87 000 महिलाएं डेरी फार्मिंग से जुड़ी है और अधिक मात्रा में जोड़ा जाना उचित होगा उन्होंने बताया कि दूध के उत्पादन को बढ़ाने के लिए बनास डेरी, बनारस ने एंब्रियो ट्रांसप्लांट सुविधा किसानों को उपलब्ध करा रहे हैं।एक अन्य वक्ता श्री मानवेंद्र सिंह भदौरिया मैनेजर,बनास डेरी अमूल,कानपुर देहात द्वारा दूध की खरीद जिसमें संगठित खरीद प्रणाली और एकल खरीद प्रणाली पर चर्चा करते हुए बिचौलियों को कम करने पर जोर दिया जिससे किसानों को अधिक लाभ मिल सके साथ ही इसका समाज पर आर्थिक एवं सामाजिक प्रभाव पर विस्तार से बताया।एक अन्य वक्ता डॉ रामबाबू सिंह,जनरल मैनेजर, मदर डेयरी, जूनागढ़,गुजरात द्वारा दुग्ध उत्पादो जैसे पनीर,दही,मक्खन, आइसक्रीम,कुल्फी आदि में विविधता पर चर्चा की उन्होंने गुणवत्ता नियंत्रण सहित उपभोक्ता मांग को पूरा करने के लिए बाजार विस्तार पर जोर दिया।
इसी क्रम में वक्त प्रशांत कुमार सुधाकर, जूनियर मैनेजर,रिसर्च एंड डेवलपमेंट, यूनीपेक्स डेरी प्रोडक्ट,दुबई ने डेयरी अपशिष्ट का प्रबंधन एवं उपयोग की विभिन्न प्रथाओं के बारे में बताया।उन्होंने उनके पुनर्चक्रण पर जोर दिया उन्होंने बायोप्लास्टिक,बायोफर्टिलाइजर एवं बायोफ्यूल पर भी चर्चा की इस वेबीनार में लगभग 70 लोगों ने प्रतिभाग किया। जिसको क्रियान्वित करने में मुख्य भूमिका इंजीनियर रोली कुमारी,डॉक्टर समरजीत सिंह,पवन कुमार यादव, इंजीनियर प्रियंका यादव एवं इंजीनियर कसफ खान की रही।यह जानकारी