नवादा नगर सहित ग्रामीण इलाकों के गुमटियों में खुलेआम गांजे की बिक्री हो रही है। शराबबंदी के बाद युवाओं में नारकोटिक्स ड्रग गांजे की बढ़ती लत ने उनकी जिंदगी को ही बर्बाद कर रखा है। पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी इस दिशा में सही तरीके से काम नहीं कर रहे। जिसके कारण स्थिति गंभीर बनी हुई है। नवादा नगर थाने के समीप पुरानी कचहरी रोड के कई गुमटियों में भी खुलेआम गांजे की बिक्री की जा रही है। बावजूद उनके विरुद्ध पुलिस अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
गांजे की लत में कश लगाकर धुआं उड़ाते हुए युवाओं की ज़िन्दगी बर्बाद हो रही है। दुकानों पर गांजा के पेपर पैकेट ऐसे बिक रहे हैं, जैसे कोई साधारण चीज, लेमनचूस या कोल्ड ड्रिंक हो, इसका मतलब साफ है कि शहर में गांजा आसानी से उपलब्ध है। बिहार में भले ही शराब पर रोक लगी हो, लेकिन अब शराब की जगह गांजा ने पूरी तरह कब्जा जमा लिया है। यह केवल गरीबों का मसला नहीं है; ऊंची सोसाइटी के युवा भी इसमें शामिल हो रहे हैं। मादक पदार्थों की बिक्री पर रोक लगाने की जिम्मेदारी नारकोटिक्स विभाग व पुलिस की होती है, लेकिन वे अक्सर छोटे कस्बों तक नहीं पहुँच पाते। इलाकाई पुलिस की चौकसी के बावजूद गांजे की बिक्री पर काबू नहीं पाया जा रहा है।
गांजा की पुड़िया खास गलियों में खुलेआम बिक रही है। भांग की दुकानों पर छापेमारी के दौरान गांजा पकड़े जाने की कई घटनाएँ हैं। अब समय आ गया है कि एक सख्त अभियान चलाकर अवैध मादक पदार्थों की बिक्री पर लगाम लगाई जाए।
समाज के हर लोगों को मिलकर इस गंभीर समस्या का समाधान ढूंढना होगा और युवाओं को एक सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य देने की दिशा में कदम उठाना होगा। युवा नशे में अपना भविष्य ख़राब कर रहे हैं, सड़क दुर्घटना में भी युवाओं की संख्या बढ़ रही है, कुछ तो गांजा का सेवन कर हाई स्पीड लिमिट में बाइक दौड़ते दुर्घटना का शिकार हो रहे है। तो कई गम्भीर बिमकरियो के शिकार हो रहे हैं।