खतरे के निशान पर नारायणी नदी, गांवों में घुसा पानी, दहशत में लोग

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अवधनामा संवाददाता

बारह घण्टे के भीतर नदी का जलस्तर में 44 हजार क्यूसेक की वृद्धि
कुशीनगर। बाल्मीकि नगर बैराज से बड़ी गंडकनदी में पानी का डिस्चार्ज बढा हैं। जिससे जलस्तर में भारी वृद्धि जारी देखी जा रही। कल शाम 5 बजे बाल्मीकि नगर बैराज से बड़ी गंडक (नारायणी नदी) में पानी का डिस्चार्ज 317,600 लाख क्यूसेक पर पहुंचा। जिससे नदी के किनारे बसे यूपी- बिहार के गावो में पानी घुस गया हैं। अत्याधिक पानी छोड़े जाने पर नारायणी नदी का पानी दर्जनो गांव में घुस चुका है। लगातार पानी का डिस्चार्ज बढ़ने से लोगों में दहशत है। जिलाधिकारी कुशीनगर व पुलिस अधीक्षक कुशीनगर ने कटान हो रहे गांव महादेवा का निरीक्षण कर एसडीएम खड्डा को कम्युनिटी किचन शुरू करने एवं बाढ़ शरण स्थल तैयार कराने का दिया निर्देश। महज 12 घंटे के अंदर बड़ी गंडक नदी के जलस्तर में करीब 44 हजार क्यूसेक की वृद्धि हुई है। जिससे बड़ी गंडक नदी खतरे के निशान को पार चुकी हैं।
बताते चलें कि बाल्मीकि नगर बैराज से सोमवार की शाम पानी का डिस्चार्ज 276000 क्यूसेक होने के कारण रात में नारायणी नदी में उफान आ गया । किसानों की फसलों को डुबोती हुई कुशीनगर के मरिचहवा दक्षिण टोला, बसंतपुर, शिवपुर ,नारायनपुर, हरिहरपुर, शाहपुर, विंध्याचलपुर गांव में घुस चुकी है लोगों के घरों में घुटने भर पानी लगा हुआ है। लोगों को भोजन बनाने में भी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। नारायणी नदी में पानी का डिस्चार्ज लगातार मंगलवार को भी बढ़ता चला गया और शाम होते होते डिस्चार्ज 317,600 लाख क्यूसेक पर पहुंच गया। सबसे ज्यादा प्रभावित खड्डा तहसील के मरिचहवा, नारायणपुर, महदेवा, सालिगपुर, शिवपुर, हरिहरपुर, शाहपुर सहित रेता क्षेत्र सभी गांवों में बाढ़ का पानी भरा हुआ हैं। तमकुहीराज तहसील क्षेत्र के गांव पिपरा घाट के सभी 12 टोलों, अहिरौलीदान, जवही दयाल, घघवा जगदीश, वीरवट कोन्हवलिया, बाघाचौर, कौवाखोर,अमवा, खैरटिया में भी बाढ़ से लोगो की सास अटकी हुई हैं। नारायणी में डिस्चार्ज से छितौनी, अमवा खास व एपी बंधे पर नदी का दबाव बढ़ रहा हैं।
जिलाप्रशासन को बाढ़ शरणालय बनाने तथा कम्युनिटी किचन स्थापित करने। बाढ़ प्रभावित लोगों को भोजन की व्यवस्था की और स्वास्थ्य टीम भी प्रत्येक गांव का निरीक्षण के साथ हर गतिविधि पर नजर बनाए रखने का निर्देश जिलाधिकारी ने दिया हैं। नारायणी नदी पार की गांव के लोगों की भोजन व्यवस्था भी कम्युनिटी किचन के माध्यम से कराये जाने के लिए कोटेदारों को निर्देशित किया जा चुका है।
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