नरान्तक व रावण वध का हुआ मंचन

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अवधनामा संवाददाता

ललितपुर। रामलीला के तेरहवें दिवस में नारान्तक वध एवं रावण वध (दशहरा) की लीला का आयोजन किया गया। लीला के प्रथम दृश्य में रावण अपने पुत्र नारान्तक को बुलबाता है जो वीहवलपुर का राजा था रावण उसे युद्ध करने के लिए भेजता है उधर दूसरी तरफ श्री राम की सेना में दधीवल जाता है और नारान्तक व दधीवल में काफी बरतलाव के बाद युद्ध होता है और दधीवल नारान्तक का वध कर देता है तथा लीला के दूसरे दृश्य में लंका नरेश रावण और राम का युद्ध होता है जिसमें राम के वार करने पर रावण को कोई नुकसान नहीं होता है फिर अंत में विभीषण जी प्रभु श्री राम को बताते हैं कि रावण की नाभि में अमृत है जिस कारण रावण नहीं मर सकता है फिर भगवान श्रीराम ने अग्निबाण रावण की नाभि में मारते हैं और रावण मूर्छा खाकर गिर पड़ता है । लीला के तीसरे दृश्य में राम लक्ष्मण जी को रावण के पास भेजते हैं और कहते हैं कि लक्ष्मण तुम रावण को अपना गुरु बना कर अंतिम उपदेश ग्रहण करो क्योंकि जगत का ज्ञाता अब इस संसार से विदा ले रहा है लक्ष्मण जी प्रभु श्री राम की आज्ञा मानकर रावण के पास जाते हैं और लक्ष्मण जी रावण के सिर की तरफ खड़े हो जाते हैं परंतु रावण कुछ नहीं बोलता है तो लक्ष्मण जी वापिस प्रभु श्री राम के पास चले जाते हैं और लक्ष्मण जी भगवान श्रीराम से कहते हैं कि रावण अहंकार के कारण कुछ नहीं बोल रहा है तब भगवान श्री राम बोले लक्ष्मण तुम रावण के पास गए तो किस ओर खड़े थे लक्ष्मण जी बोले सिर की तरफ भगवान श्रीराम ने कहा जाओ लक्ष्मण रावण के चरणों की ओर खड़े होना और उनसे अंतिम उपदेश लेना हमें अगर किसी से ज्ञान लेना है तो उसके सिर पर नहीं चरणों में रहकर ज्ञान लेना चाहिए तब लक्ष्मण जी रावण के पास जाते हैं और चरणों की तरफ खड़े हो जाते हैं तब रावण कहता है कि लक्ष्मण तुम मेरे पास आओ और मुझे अपने धनुष बाण दे दो तो लक्ष्मण जी रावण को अपने धनुष बाण दे देते हैं फिर रावण कहता है कि अब मैं तुम पर यह धनुष बाण चला दू लेकिन रावण कहता है कि मैं ऐसा नहीं करूंगा लेकिन तुम याद रखना कि अंत समय में भी हमें अपने शत्रु को शस्त्र हथियार नहीं देने चाहिए यही मेरा अंतिम उपदेश है और रावण अंत में श्री राम का नाम लेकर अंतिम सांस लेता है। तथा सारी वानर सेना में हर्ष उल्लास के साथ भगवान श्री राम के जयकारे लगाते हैं भगवान श्री रामचंद्र की जय लखन लाल की जय यहीं पर लीला को विराम दिया जाता है। पात्र कलाकार भगवान श्रीगणेश की भूमिका में कमलेश पाठक, रामरुद्र प्रताप सिंह, लक्ष्मण वेदांश चौबे, सीता कृष्ण प्रताप, हनुमान कृष्णकांत तिवारी, सुग्रीव प्रदीप गोस्वामी, जामवंत पवन सुडेले, अंगद रोहित चतुर्वेदी, रावण सेवक जगदीश पाठक शास्त्री, शंकरजी निखिल पाठक, मंदोदरी त्रिवेणी राजा, रावण विजयकांत सुडेले, विभीषण जगदीश प्रसाद सुडेले, अहिरावण नारान्तक जगदीश पाठक, वानर सेना रोहित राजा, विशाल, विकास, तरुण-वरुण, गोलू, राक्षस सेना बबलू माते, जैकब, जगदीश रैकवार, गोविंदा आदि शामिल रहे।

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