अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दलितों को आरक्षण दिए जाने के मुद्दे पर विश्वविद्यालय के गैर शिक्षक संघ ने कड़ी आपत्ति जताई हैं. संघ के पूर्व सचिव मुजीब-ए-हक ने एक आपात बैठक बुला कर इस सम्बन्ध में विचार विमर्श किया.
बैठक में वक्ताओं ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति- जनजाति आयोग के अध्यक्ष प्रो० राम शंकर कठेरिया के अमुवि में आरक्षण सम्बंधित बयान पर दुःख जताया. संघ के पूर्व सचिव मुजीब-ए-हक के अनुसार प्रो० कठेरिया की बात जो समाचार पत्रों में छपी हैं उसमे ग्रांट रुकवाने सम्बंधित बात धमकी के अंदाज़ की हैं.
गैर शिक्षक संघ के सदस्यों ने एक स्वर में कहा कि वर्तमान सरकार के नारे– ‘सबका साथ सबका विकास’ को साकार करने में अमुवि क अबादा योगदान हैं क्यूंकि सच्चर कमिटी की रिपोर्ट की चर्चा तो सब करते हैं लेकिन अल्पसंख्यको के हालात सुधारने में केवल अमुवि का ही योगदान हैं.
मुजीब-ए-हक के अनुसार यद्यपि अमुवि की स्थापना एक वर्ग विशेष के शैक्षिक स्तर को सुधारने के लिए गयी परन्तु अमुवि में आज भी संविधान और विश्वविद्यालय के एक्ट के अनुसार ही बिना जाति-धर्म के भेदभाव में नियुक्तियां तथा प्रवेश दिए जाते हैं. विश्वविद्यालय के इंटरनल छात्रो को कोटा दिया जाता हैं जिसमे भी जाति-धर्म का कोई भेद नहीं होता.
गैर शिक्षक संघ ने राजनितिक पार्टियों से अपील करते हुए कहा कि वो २०१९ में सत्ता प्राप्ति के लिए एक शैक्षिक संस्था को राजनीती का अखाडा न बनाये. शीघ्र नया शैक्षिक सत्र शुरू होने जा रहा हैं और इस प्रकार की बयानबाज़ी पसे विश्वविद्यालय के शैक्षिक वातावरण पर असर पड़ेगा.
संघ ने अमुवि प्रशासन को भी आश्वस्त किया कि कुछ तत्व अमुवि को राजनीती का केंद्र बना कर वातावरण बिगड़ना चाह रहे हैं लेकिन अमुवि की साख और अस्तित्व को बचाने के लिए समस्त कर्मचारी अमुवि प्रशासन द्वारा उठाये गए हर कदम का समर्थन करते हैं और उनके साथ हैं.
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