मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण पर रोक लगाकर इतिहास रचा है। मुस्लिम जमात ने इस फैसले पर खुशी का इजहार करते हुए स्वागत किया है।
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का स्वागत किया है, जिसमें धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण पर रोक लगाई गई है। बरेली के ग्रैंड मुफ्ती हाऊस में मुस्लिम जमात की बैठक हुई। इसमें जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि 1990 और 1991 में देश में सांप्रदायिक माहौल था, जिसकी वजह से उस समय संसद में एक कानून पास किया, जिसको पूजा स्थल अधिनियम 1991 कहा जाता है।
इस कानून में साफतौर पर उल्लेख किया गया है कि 15 अगस्त 1947 में धार्मिक स्थलों की जो स्थिति है उसमें किसी तरह का कोई बदलाव या छेड़छाड़ नहीं किया जायगा। साथ ही बाबरी मस्जिद अयोध्या को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया। उस वक्त नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का ये बड़ा निर्णय था, जिसका सभी ने समर्थन किया था।
हिंदू मुस्लिम तनाव कम करने की कोशिश’
मौलाना बरेलवी ने कहा कि अयोध्या में विवादित ढांचे की जगह राम जन्मभूमि मंदिर बनने के बाद सांप्रदायिक ताकतों के हौसले बुलंद हो गए, जिसकी वजह से ज्ञानवापी मस्जिद वाराणसी और शाही ईदगाह मस्जिद मथुरा के साथ ही संभल, बदायूं, आगरा अजमेर आदि में मस्जिदों और दरगाहों को कोर्ट मे खींचा जाने लगा। मगर सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण पर रोक लगाकर इतिहास रचा है। देश में फैलते हिंदू मुस्लिम तनाव को कम करने की भरपूर कोशिश की गई।
बैठक में मौलाना मुजाहिद हुसैन कादरी ने कहा कि मुसलमान हमेशा कानून पर अमल करता रहा है और भविष्य में भी कानून का सम्मान करेगा। पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने अगर पूजा स्थल अधिनियम 1991 से छेड़छाड़ ना की होती तो देश में सांप्रदायिक तनाव ना पैदा होता। मगर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हम खुश हैं और मुसलमानों ने राहत की सांस ली है। हाजी नाजिम बेग ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला देश में अमन बढ़ायेगा और सभी को इस फैसले का स्वागत करना चाहिए।
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