मनोबल बढ़ाने वाला चुनाव

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एस.एन.वर्मा

एक राज्य हिमाचल का चुनाव हो चुका है दूसरे राज्य गुजरात का चुनाव होना है। पर दोनो के नतीजे एक साथ आयेगे। जिसके भी पक्ष में जीत जायेगी उसके मनोबल को असीम बूस्टर मिलेगा। गुजरात में लड़ाई भाजपा, कांग्रेस और आपके बीच में है। हालाकि भाजपा मुख्य प्रतिद्वन्दिता कांग्रेस से बता रही है पर आप का भी प्रचार कमजोर नही है। गुजरात में भाजपा का संगठन मजबूत है उसके कार्यकर्ता घर घर जा कर मतदाता को निकाल लाते है। कांग्रेस का संगठन हर जगह कमजोर है। गुजरात में वह और उसके कार्यकर्ता घर घर जाने के लिये अक्षम है। कांग्रेेस के बड़े नेता गुजरात नही आ रहे है इसलिये गुजरात के स्थानीय नेता नाराज़ भी बताये जा रहे है।
भाजपा प्रचार में स्थानीय मुद्दे नही उठा रही है उसे भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व पर पूरा भरोसा है। नरेन्द्र मोदी उनके ट्रम्प कार्ड होते है। लम्बे अर्से तक इस प्रदेश के सफल मुख्यमंत्री रहे है। गृहमंत्री का भी गुजरात गृह प्रदेश है। दोनो पर जनता पर भारी असर है। भाजपा गुजरात में त्रिकोणी लड़ाई चाहती है। हालाकि वह अपनी प्रतिद्वन्दिता कांग्रेस से बता रही है पर आप भी प्रचार के मामले कमज़ोर नही है। कुछ लोग कह रहे है आप को आरएसएस मदद दे रही है। ऐसा होना मुमकिन नही लगता। भाजपा के बहुत से नेताओं की शुरूआत आरएसएस की छाया में ही शुरू हुआ है।
जहां तक हिमाचल प्रदेश की बात है काटे की टक्कर थी। इनकम्बेसी फैक्टर का असर भी भाजपा पर हो सकता है। सत्ता परिवर्तन के इच्छुक सेब उत्पादक, किसानों की कठिनाइयों, जीएसटी, बेरोजगारी, महंगाई आदि का मुद्दा उठा रहे है। भाजपा को मोदी के नेतृत्व पर पूरा भरोसा है। उन्हें हर जगह लगता है मोदी है तो सब कुछ सम्भव है। अगर भाजपा फिर यहां चुनाव जीतती है तो उसका मनोबल आगे के लिये और मजबूत होगा। अगर कोड कांग्रेस जीतती है तो उसके पाले में एक और राज्य आ जायेगा और उसके मनोबल में अप्रत्याशित रूप से उछल आयेगा। जहां तक आप की बात है। तो अगर वह बेहतर प्रदर्शन करती है, वोट प्रतिशत सन्तोषजनक बढ़ा पाती है तो उसके लिये जीत के समकक्ष होगा। गुजरात में ऊंचे मनोबल के साथ प्रचार करेगी। कांग्रेस अगर इत्तफाक से जीतती है तो गुजरात में वह भी विजयी मुद्रा में प्रचार करेगी। भाजपा तो आत्म विश्वास से भरपूर है। मोदी शाह फैक्टर भी वहां काम करेगा। भाजपा एक अनुशासित पार्टी है। कार्यकर्ता ज्यादातर प्रशिक्षित होते है। आरएसएस का बैक ग्राउन्ड रहता है। भाजपा का चुनाव प्रबन्धन बहुत मजबूत और तार्किक होता है। हर बूथ तक उसकी पहुच रहती है। इन सबके ऊपर मोदी का जादू रहता है। हिमाचल और गुजरात दोनो के चुनाव उनके लिये आसान होता जायेगा। बेहतर नतीजे अपने पक्ष में देख दूसरी पार्टियों में भाजपा का विकल्प बनने का सपना जोर मारेगा।
कांग्रेस की कमजोरी है कि उसके साथ प्रभावी युवा नेता जुड़ते है पर कांग्रेंस न तो उनका उचित सम्मान कर पाती है न उनका उपयोग कर पाती है। इसलिये उनका कांग्रेस से मोह भंग हो जाता है और वे दूसरी पार्टी का दामन थाम लेते है। पिछला गुजरात का चुनाव याद कीजिये हार्दिक पटेल, अल्पेश कठोर जिग्रेश मेवाणी ने कांग्रेस पक्ष में चुनाव को ला दिया था। तीनो युवा नेता है जोश से भरभूर है। पर कांग्रेस इनका फायदा नही उठा पायी। कांग्रेस की अदासीनता की वजह से हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकुर भाजपा की ओर से चुनाव लड़ रहे है। उनका युवाओं पर असर भी दिख रहा है। वही जिग्रेश कांग्रेस में है वह दलित नेता है उनका उपयोग कांग्रेस को दलितो पर प्रभाव डालने के लिये करना चाहिये पर कांग्रेस उदासीन है। कुछ दिनों बाद वे भी अपना रूख बदल सकते है। कांग्रेस को अपनी इस तरह की विफलता पर खास ध्यान देना चाहिये क्योंकि भविष्य तो युवाओं का ही होता है।
गुजरात चुनाव के बाद दिल्ली में एमएसडी चुनाव होने जा रहा है। यह चुनाव आपके लिये भी अहम है। उसका ध्यान एमएसडी चुनाव की तरफ भी जा रहा होगा। उसे गुजरात के साथ साथ एमएसडी के बारे में भी सोचना पड़ रहा होगा। एकाएक चुनाव की घोषणा उसके चुनाव अभियान को बाट सकती है। आपके मुख्य प्रचारक केजरीवाल है।
गुजरता में केजरीवाल भाजपा की काट के लिये अपने को हिन्दूवादी समर्थक होने का बिल्ला चिपकाना चाहते है उन्हें लगता है भाजपा को हिन्दूवादी छवि की वजह से काफी समर्थन मिलता है। इसीलिये इस चुनाव में उन्होेंने हनुमान चालीसा नोटांे पर लक्ष्मी गणेश की तस्वीर, छापने के पक्ष में भाषण दे रहे है। बुजुर्गो को मुफ्त तीर्थ यात्रा कराने का भी वादा कर रहे है। इनके इन बातों का लोगो में असर भी दिख रहा है। केजरीवाल का उद्देश्य कांग्र्रेस से असन्तुष्ट लोगो को अपने तरफ करने का है। अगर यहां वह सीटे हासिल कर पाते है, मतदाताओं में अपने सपोर्टर का प्रतिशत बढा पावे है तो यह उनको और उनकी पार्टी के लिये भविष्य में सपोर्ट बढ़ाने का काम और प्रदेशों में भी करेगी। सम्भवतः चूकि हर जगह कांग्रेस का ग्राफ नीचे जा रहा है तो इसलिये आप भाजपा का विकल्प हो कर उभरेगी। गुजरात में तो कांग्रेस के आने की सम्भावना नही दिखती है। हां अगर हिमाचल में वह सत्ता पा जाती है तो इसका श्रेय राहुल के भारत जोड़ो यात्रा और खुद राहुल के नेतृत्व को जायेगा। राहुल के नेतृत्व पर भी लोगो का विश्वास बढ़ेगा। खड़गे की अध्यक्षता की सफलता में भी निखार आयेगा। जो आगे के चुनाव में काम देगा।
गुजरात का चुनाव भाजपा के लिये अहम है। इसके नतीजे का असर 2024 के चुनाव पर जरूर पड़ेगा। वैसे जहंा भारत के नेतृत्व की बात आती है लोग मोदी की ओर मुड़ जाते है। गुजरात में मोदी का सिक्का चलता है। इस चुनाव में कुछ कमी आती है तो शाह पूरा करने के लिये है। इसलिये लड़ाई आप और भाजपा के ही बीच लगती है। भाजपा की जीत भी निश्चित लगती है। जनता भले ही कुछ कहे, नेता और पार्टियों कुछ भी प्रचार करे पर मतदाता बूथ में घूसते ही मोदी की ओर चला जाता है। मोदी का जादू इस समय अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भी चल रहा है जो काप 27 और टेरर फन्डिग की बैठक में भी देखने को मिल रहा है। रूस और अमेरिका दो विरोधी शक्तियां मोदी की तारीफ कर रही है। अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी भारत के वित्तीय व्यवस्था की तारीफ की है। इससे शिक्षित मतदाता जरूर प्रभावित होगे और मोदी के पक्ष में मोहर लगायेगा। पर चुनाव चुनाव होता है कुछ भी हो सकता है। जो होगा 8 दिसम्बर को पता चलेगा।

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