आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव और मूड स्विंग एक आम समस्या बन गई है। मूड स्विंग का मतलब है अचानक से मूड का बदलना जो दिमाग में मौजूद न्यूरोट्रांसमीटर के कारण होता है। किशोरावस्था गर्भावस्था और मेनोपॉज जैसे समय में हार्मोनल बदलाव के कारण भी मूड स्विंग हो सकता है।
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में ज्यादातर लोग तनाव का शिकार हो रहे हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे हैं जो मूड स्विंग्स की समस्या से परेशान रहते हैं। आमतौर पर लोगों को लगता है कि बाइपोलर डिसऑर्डर ही मूड स्विंग है। लेकिन हम आपको बता दें कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। मूड स्विंग से पीड़ित लोगों का व्यवहार कब बदल जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता है।
मूड स्विंग के पीछे सिर्फ तनाव ही जिम्मेदार नहीं है, बल्कि कई कारणों से इंसान मूड स्विंग का शिकार हो जाता है। इसे समझना बहुत जरूरी है। आज का हमारा लेख भी इसी विषय पर है। हम आपको बताएंगे कि मूड स्विंग क्या होता है, इसके पीछे क्या कारण है? साथ ही इनके लक्षणों के बारे में भी जानेंगे। आइए जानते हैं विस्तार से –
क्या है मूड स्विंग?
क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक, मूड स्विंग्स का सीधा मतलब होता है कि अचानक से मूड का बदल जाना। जैसे कभी बहुत खुश महसूस करना और कुछ देर बाद ही दुखी या चिड़चिड़ापन महसूस करना। ये बदलाव दिमाग में मौजूद neurotransmitters के घटने-बढ़ने के कारण होता है। ये एक तरह का केमिकल है।
मूड स्विंग्स कभी-कभी किसी कारण से होते हैं जैसे भूख लगना, किसी पेट्स के साथ खेलना या पैदल चलना। लेकिन कई बार मूड क्यों बदल रहा है, इसका कोई खास कारण समझ नहीं आता है। वैसे तो मूड का ऊपर-नीचे होना हमारी लाइफ का हिस्सा है। लेकिन अगर ये बार-बार हो या आपके रिश्तों और काम पर असर डालने लगे, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी हो जाता है।
मूड स्विंग्स क्यों होते हैं?
- किशोरावस्था (Adolescence): इस उम्र में शरीर और मन में कई तरह के बदलाव होते हैं। हार्मोनल बदलाव के कारण मूड बार-बार बदलने लगता है।
- प्रेग्नेंसी और डिलीवरी के बाद: प्रेग्नेंसी और डिलीवरी के बाद महिलाओं को थकान, नींद की कमी और नई जिम्मेदारियों से गुजरना पड़ता है, जिससे मूड जल्दी बदल सकता है।
- मेनोपॉज: इस समय हार्मोन, खासकर एस्ट्रोजन के लेवल में उतार-चढ़ाव होता है, जिससे मूड में बदलाव महसूस होता है।
इन बीमारियों से भी हो सकता है मूड स्विंग्स
- दिमाग से जुड़ी बीमारियां: जैसे अल्जाइमर, ब्रेन ट्यूमर या डिमेंशिया।
- ब्लड शुगर की समस्या: डायबिटीज या लो ब्लड शुगर होने पर भी मूड बिगड़ सकता है।
- माइग्रेन: सिरदर्द शुरू होने से पहले मूड बदलने लगता है।
- थायरॉइड की गड़बड़ी (Hyperthyroidism): अगर थायरॉइड जरूरत से ज्यादा हार्मोन बनाने लगता है तो मूड में चिड़चिड़ापन और गुस्सा आ सकता है।
- नींद की कमी: अच्छी नींद न लेने से भी दिमाग ठीक से फीलिंग्स काे संभाल नहीं पाता है, जिससे मूड बिगड़ने लगता है।
- सिर पर चोट लगना: अगर किसी के सिर पर गहरी चोट लगी है तो उसका स्वभाव और मूड भी तेजी से बदलता है।
- पीरियड्स: अक्सर महिलाओं को पीरिसड्स के समय मूड स्विंग हो सकते हैं।
दिमाग की बीमारी होने पर भी होता है मूड स्विंग्स
- अल्जाइमर
- डिप्रेशन
- बाइपोलर डिसऑर्डर
- एंग्जायटी (घबराहट)
- ध्यान की कमी
- किसी सदमे के बाद का तनाव
- ईटिंग डिसऑर्डर
क्या हैं मूड स्विंग के लक्षण?
- शरीर में एनर्जी की कमी होना
- हर समय थकान महसूस होना
- जरूरत से ज्यादा खाना खाना
- भूख न लगना
- नींद की कमी
- बेचैनी महसूस होना
- उदास रहना
- चीजों को भूल जाना
- आत्मविश्वास में कमी होना