संभल अवधनामा lश्री कल्कि धाम ऐंचोड़ा कम्बोह में आज मासिक सत्संग का आयोजन किया गया, प्रत्येक माह के प्रथम दिवस पर आयोजित होने वाले सत्संग से पूर्व यज्ञ आयोजित किया गया, तत्पश्चात सत्संग में आशीर्वचन करते हुए श्री कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम जी ने कहा कि इस पुण्य भूमि पर लगातार दशकों से संतों और भक्तों का समागम हो रहा है। श्री कल्कि पीठाधीश्वर ने कहा कि इस संसार में व्यक्ति का संपूर्ण जीवन संबंध-अनुबंध, अपने-पराए की व्याख्या एवं विवेचना में ही बीत रहा है, प्रत्येक व्यक्ति अपने अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण करना चाहता है, समाज को अपने हिसाब से ढालना चाहता है, अपने सभी स्वजनों को अपने हिसाब से चलाना चाहता है, यहां तक कि परमपिता परमात्मा से भी व्यक्ति अपनी इच्छानुसार मांगता ही रहता है।
इसी में व्यक्ति का जीवन बीत जाता है, यदि व्यक्ति की इच्छानुसार सब घटित होता है तो वह खुशी का अनुभव करता है और यदि इच्छा के विपरीत होता है तो व्यक्ति दुखी हो जाता है, इसी चक्र में जीवन व्यतीत हो जाता है। यदि हम इसमें थोड़ा सा परिवर्तन ले आयें और परिस्थितियों को ईश्वरीय आदेश मानकर हृदय से स्वीकार कर लें तो हमारी सोच ही बदल जाएगी और हमें हरपल सुख का ही अनुभव होगा। आज के सत्संग में आचार्य श्री की दिवंगत बड़ी बहन स्व० पवित्रा जी के चित्र पर पुष्पांजलि भी अर्पित की गयी विगत 24 अप्रैल को उनकी पुण्यतिथि के पश्चात आयोजित इस मासिक सत्संग में आचार्य श्री ने बहन पवित्रा जी की ईश्वर के प्रति आस्था को विशेष रूप से स्मरण किया। सत्संग में विशेष रूप से महामंडलेश्वर कल्याण देव जी, महामंडलेश्वर स्वामी हरमनोजदास जी महाराज, स्वामी सत्यानंद जी, आचार्य दुष्यंत शास्त्री जी, खिलेंद्र सिंह, सुधीर चाहल आदि रहे।.