अवधनामा संवाददाता
बाराबंकी। देश की मोदी सरकार की किसान, खेत, मजदूर विरोधी नीतियों के चलते वह आत्महत्या को मजबूर हो गया हैं। पहली बार खेती पर टैक्स लगाकर इस देश के अन्नदाता की कमर तोड़ने का काम मोदी सरकार ने किया हैं। देश के अन्नदाता की आय दुगुनी करने का वादा करके उसके कंधो पर कर्ज का बोझ लाद दिया हैं। किसान अपनी उपेक्षा भाजपा की वादा खिलाफी का बदला 2024 के आम चुनाव में वोट से लेकर उन्हें अर्श से फर्श पर ला देगा।
उक्त उद्गार पूर्व सांसद डॉ. पीएल पुनिया ने आज विधानसभा क्षेत्र कुर्सी के विकास खण्ड निन्दूरा के ग्राम कुर्सी, गोपालपुर, रींवासींवा में आयोजित ग्राम्य चौपालों में व्यक्त किये। अध्यक्षता ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष आमिर अयूब किदवई ने तथा संचालन वरिष्ठ कांग्रेसी मो. शफी आजाद ने किया। पूर्व सांसद श्री पुनिया ने कहा कि भाजपा सरकार ने सत्ता में आते ही बता दिया था कि वह किसान विरोधी हैं जब 2014 में आदेश देकर इस सरकार ने धान और गेहूं पर 150 का बोनस बंद कर दिया था और किसानों की जमीन हड़पने के लिये तीन काले कानून लेकर आये थे जिनकी वापसी के लिये इस देश के अन्नदाता ने 378 दिनों तक आंदोलन चलाया था जिसमें 750 किसानों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया था लेकिन भाजपा के किसी नेता ने किसानों की शहीदी पर आसूं तक नही बहाया और किसानों को समर्थन मूल्य की गारण्टी नही दी। श्री पुनिया ने कहा कि 2006-07 से 2013-2014 की बीच जब यू.पी.ए. की सरकार थी तो समर्थन मूल्य में 205 प्रतिशत तक वृद्धि की गयी थी लेकिन देश की मोदी सरकार ने साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा था कि लागत के 50 प्रतिशत के ऊपर समर्थन मूल्य नही दिया जा सकता हैं क्योंकि इससे बाजार का भाव खराब हो जायेंगा। प्रधानमंत्री फसल योजना में किसान लुटा हो जिस सरकार ने यूरिया खाद की बोरी से 5 किलों खाद की चोरी की हो, खेती पर टैक्स लगाया हो समर्थन मूल्य पर शपथ पत्र दिया हो वह इस देश के अन्नदाता के वोट का अधिकार खो चुकी हैं अब आप को अपनी अपने परिवार, किसानों की खुशहाली के लिये एक बार फिर पंजे के निशान के बटन को दबाकर इस जालिम, अहंकारी सरकार के विदाई करके कांग्रेस सरकार को लाना होगा।विकास खण्ड निन्दूरा में आयोजित चौपालों में मुख्य रूप से ब्लॉक अध्यक्ष आमिर अयूब किदवई, मो. शफी आजाद, भीखाराम गौतम, राजेश वर्मा, नरेन्द्र वर्मा, सत्य प्रकाश तिवारी, अनूप यादव, महावीर गौतम, अब्दुल हसन प्रधान सहित दर्जनो की संख्या में स्थानीय आवाम मौजूद थी।