मनरेगा के घोटाले में सचिव व प्रधान पर कार्यवाही
रोजगार सेवक से लेकर बीडीओ तक है जिम्मेदार क्योंकि बिल सभी के हस्ताक्षर से पास हुआ
शाहजहांपुर/सरकार द्वारा मनरेगा में भ्रष्टाचार को लेकर कराई जा रही सोशल ऑडिट टीम की पकड़ में मनरेगा घोटाला नहीं आ रहा है लगातार रोजगार सेवक फर्जी फोटो डालकर फर्जी मास्टर रोल के सहारे मालामाल हो रहे हैं और सोशल आडिट टीम खुली बैठक के नाम पर खाना पूर्ति कर सरकार की आंखों में धूल झोंक रही है और सोशल ऑडिट में लगाए गए पर्यवेक्षक भी बैठक में ना जाकर दूर से तमाशा देख रहे हैं यही कारण है कि प्रतिवर्ष सोशल ऑडिट होने के बावजूद शिकायत के बाद मनरेगा में घोटाला निकलकर सामने आ रहा है ऐसा ही एक मामला
विकासखंड खुदागंज की ग्राम पंचायत पौकी का सामने आया है क्योंकि काम करें कोई दूसरा सजा मिले किसी दूसरे को क्योंकि जिसके डोंगल से पैसा स्थानांतरण हुआ वह निर्दोष एवं केवल मास्टररोल पर हस्ताक्षर करने पर सचिवों पर केवल कार्यवाही ऐसा क्यों क्योंकि मनरेगा भारत सरकार द्वारा चलाई गई योजना है इस योजना के अंतर्गत ग्राम पंचायत में लेबर से कार्य कराया जाता है इस कार्य को करते समय का फोटो मनरेगा साइट पर उसी जगह पर जाकर रोजगार सेवक द्वारा हाजिरी लगाई जाती है उस हाजिरी को अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी चेक करके फीड करता है एवं इस कार्य का तकनीकी सहायक के द्वारा मूल्यांकन किया जाता है इसके बाद बाबू (अकाउंटेंट )अपना डोंगल लगाता है इसके बाद खंड विकास अधिकारी के डोंगल से धनराशि लेबरों के खातों में स्थानांतरित की जाती है और इस पूरे कर की साल में एक बार ऑडिट भी होती है जिसकी रिपोर्ट निदेशालय और शासन को जाती है अब ऑडिट के बाद अगर घोटाला संज्ञान में आता है तो नियम अनुसार सोशल आडिट टीम के साथ-साथ सभी जिम्मेदारों पर कार्रवाई होनी चाहिए तभी इस भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सकता है
दोषी केवल सचिव, ही क्यों
विकासखंड खुदागंज की ग्राम पंचायत पौकी में जो एफ आई आर कराई गई है उसमें दोषियों को छोड़कर अन्य लोगों पर कराकर इतिश्री कर ली गई है क्योंकि जब रोजगार सेवक ने अपने सामने हाजिरी लगाई तब उसे नहीं पता था कि यह प्रधान के बच्चे है जो कि पढ़ाई कर रहे,है,जबकि रोजगार सेवक उसी गांव का रहने वाला है इसके बाद अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी जो की चेक करता है।
इसके बाद दोषी पैसा देने वाला होता है बाबू( अकाउंटेंट) एवं खंड विकास अधिकारी द्वारा डोंगल लगाया जाता है पैसा देने वाला दोषी क्यों नहीं प्रतिवर्ष ऑडिट करने वाली टीम दोषी क्यों नहीं
खंड विकास अधिकारी को प्रधान का नाम पता नहीं मालूम
ग्राम पंचायत पोकी में खंड विकास अधिकारी द्वारा जो एफआईआर कराई गई है उसमें एक अजीब बात निकलकर आ रही है क्योंकि खंड विकास अधिकारी अपने ब्लॉक के प्रधान का नाम नहीं जानते या अपने साथ-साथ उसे बचाना चाहते हैं कार्यालय में रहते हुए भी प्रधान का नाम पता नहीं एफआईआर में नाम अज्ञात लिखवा दिया गया है।
दोषियों से ही कराई जांच
विकासखंड खुदागंज की ग्राम पंचायत पोकी में जो कार्यवाही हुई है इसमें पहले खंड विकास अधिकारी द्वारा तीन सदस्य कमेटी बनाकर जांच कराई गई जिसमें एक तकनीकी सहायक एक अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी एवं एक अन्य अधिकारी के द्वारा जांच कराई गई इसके बाद इस कमेटी द्वारा आख्या प्रस्तुत कर दी गयी इसके उपरांत खंड विकास अधिकारी द्वारा एफआइआर दर्ज कराई गई