अवधनामा संवाददाता
मानपुर (सीतापुर)। कृषि विज्ञान केंद्र-२, कटिया, सीतापुर में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पी.एम.के.एस.वाई) के उप घटक पर ड्राप मोर क्रॉपष् (माइक्रोइर्रीगेशन) अन्तर्गत उद्यान विभाग सीतापुर के सहयोग से एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए जिला उद्यान अधिकारी सौरभ श्रीवास्तव ने योजना के उदेश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि योजना का लाभ सभी वर्ग के कृषकों के लिए अनुमन्य है। ऐसे लाभार्थियों, संस्थाओं को भी योजना का लाभ अनुमन्य होगा जो संविदा खेती (कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग) अथवा न्यूनतम ७ वर्ष के लिए लीज एग्रीमेंट कि भूमि पर बागवानी खेती करते हैं। लाभार्थी पंजीकरण प्रक्रिया पर उन्होंने बताया कि इच्छुक लाभार्थी कृषक किसान पारदर्शी योजना के पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराकर प्रथम आवक प्रथम पावक के सिद्धांत पर योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ दया शंकर श्रीवास्तव ने बागवानी एवं कृषि फसलों में ड्रिप एवं स्प्रिकलर सिंचाई पद्धति को अपनाकर गुणवत्तायुक्त उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि अपील की। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया से पौधों की जड़ों में ड्रिप सिंचाई के साथ ही उर्वरक एवं कीट-व्याधिनाशक रसायनों के प्रयोग से निवेश में कमी आएगी और दिन-प्रतिदिन जल स्तर में हो रही कमी के दृष्टिगत भूजल संचयन को बढ़ावा मिलेगा। वैज्ञानिक आनंद सिंह ने बताया कि सीतापुर जनपद कि मुख्य फसलों जैसे कि गन्ना, केला, धान, मेंथा आदि में अधिक पानी कि आवश्यकता पड़ती है। जो गिरते जलस्तर को देखते हुए उचित नहीं है। ऐसे में यह योजना कृषि के साथ-साथ भविष्य को भी सिंचित करने वाली है। पंजीकरण हेतु आवश्यक दस्तावेज पर कृषि विज्ञान केंद्र के प्रसार वैज्ञानिक शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि किसान के पहचान हेतु आधार कार्ड, भूमि की पहचान हेतु खतौनी एवं अनुदान की धनराशि के अन्तरण हेतु बैंक पासबुक के प्रथम पृष्ठ की छाया प्रति अनिवार्य है। प्रत्येक लाभार्थी कृषक को अधिकतम ५ हेक्टेयर क्षेत्रफल तक योजना का लाभ अनुमन्य होगा। निर्माता फर्मों के चयन पर सहायक उद्यान निरीक्षक व योजना के संकलक जय किशन जायसवाल ने कहा कि प्रदेश में ड्रिप एवं स्प्रिकलर सिंचाई प्रणाली स्थापित करने वाली पंजीकृत निर्माता फर्मों में से किसी भी फर्म से कृषक अपनी इच्छानुसार आपूर्ति स्थापना का कार्य कराने हेतु स्वतन्त्र है। कार्य के भौतिक सत्यापन के उपरांत अनुदान कि धनराशि (डी.वी.टी) द्वारा सीधे लाभार्थी के खाते में भेजी जाएगी। ड्रोन तकनीक से खेती में पानी व समय की बचत पर वैज्ञानिक डॉ शिशिर कांत सिंह व सचिन प्रताप तोमर ने बताया कि पारपंरिक तौर पर एक एकड़ खेत में स्प्रे करने में 5 से 6 घंटे का वक्त लगता हैं। जबकि ड्रोन से इतने ही क्षेत्र में 7 मिनट के अंदर ही यह काम हो जाएगा। जबकि मैनुअल तरीके से एक एकड़ में स्प्रे करने पर 150 लीटर पानी लगेगा। वहीं ड्रोन से सिर्फ 10 लीटर में काम हो जाएगा। कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रक्षेत्र प्रबंधक डॉ योगेंद्र प्रताप सिंह ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अन्य लाभकारी पहलुओं पर विस्तृत वार्ता की। कार्यक्रम में जनपद के विभिन्न क्षेत्रों से कुल 50 कृषकों ने सक्रीय प्रतिभागिता की।