पादप शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में मिलकर काम करेंगे दोनों संस्थान
कृषि क्षेत्र और खाद्य सुरक्षा के लिए पादप आनुवांशिक संसाधन की भूमिका महत्वपूर्ण : डॉ. सुरिंदर सिंह
कार्यशाला, प्रशिक्षण, ग्रामीण कृषि कार्य के अनुभव से लाभान्वित होंगे छात्र : डॉ. ज्ञानेंद्र
गोरखपुर। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर (एमजीयूजी) और राष्ट्रीय पादप आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीपीजीआर) नई दिल्ली के बीच कृषि शिक्षा और अनुसंधान के जरिये पादप तकनीकी उन्नयन को बढ़ावा देने के लिए शुक्रवार को एमओयू (समझौता ज्ञापन) का आदान-प्रदान हुआ।
एमजीयूजी की तरफ से कुलपति डॉ. सुरिंदर सिंह व कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव और एनबीपीजीआर की तरफ से निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने हस्ताक्षर के बाद एमओयू का आदान प्रदान किया। इस अवसर पर कुलपति डॉ. सुरिंदर सिंह ने कहा कि इस एमओयू से कृषि क्षेत्र में छात्रों की शिक्षा एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने में सहायता प्राप्त होगी।
साथ ही दोनों संस्थानों द्वारा विकसित तकनीकियों को साझा भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र और खाद्य सुरक्षा के लिए पादप आनुवांशिक संसाधन की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस दिशा में एनबीपीजीआर का कार्य उल्लेखनीय है। उन्होंने कहा कि एमओयू के इस पहल से पादप आनुवांशिक संसाधन के क्षेत्र में उन्नत तकनीकी के विस्तारीकरण पर भी एक साथ उत्कृष्ट शोध कार्य किया जाना संभव होगा।
एनबीपीजीआर की तरफ से निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि समझौता ज्ञापन के माध्यम से छात्रों और प्राध्यापकों को पादप आनुवांशिक संसाधन विषय से संबंधित कार्यशाला, प्रशिक्षण, शोध कार्य, ग्रामीण कृषि कार्य के अनुभव से भी लाभान्वित किया जा सकेगा। एमओयू होने के अवसर पर एमजीयूजी के कृषि संकाय के अध्यक्ष व एमओयू समन्वयक डॉ. विमल कुमार दुबे, डॉ. वैदूर्य प्रताप शाही, एनबीपीजीआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कुलदीप त्रिपाठी, डॉ. नागेंद्र कुमार सिंह, डॉ. प्रशांत कुमार राय व कृषि संकाय के प्राध्यापक डॉ. विकास कुमार यादव, डॉ. शाश्वती प्रेमकुमारी, डॉ. आयुष कुमार पाठक आदि उपस्थित रहे।