माहवारी एक प्राकृतिक प्रक्रिया है इस दौरान परिवार का सहयोग भी जरूरी

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Menstruation is a natural process during which family support is also necessary

अवधनामा संवाददाता

ललितपुर। (lALITPUR) मासिक धर्म या माहवारी यह कोई समस्या या बीमारी नहीं बल्कि यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया से लगभग 11 वर्ष से 40 वर्ष की अधिकतर महिलाएं गुजती हैं। इस दिवस को मनाने कि शुरुआत साल 2013 में वाश जल स्वच्छता एवं स्वास्थ्य रक्षा संस्था द्वारा की गई थी। पहली बार इसको साल 2014 में मनाया गया था। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य एक ऐसे विश्व का निर्माण करना है जहां किसी भी समय महिला अपनी निजता, सुरक्षा एवं गरिमा के साथ, अपने मासिक धर्म को स्वास्थ्य तरीके से प्रबंधित कर सकती है।

इस दिवस को इस महीने और तारीख में मनाने का मुख्य कारण है कि माहवारी 28 दिन के अन्तराल पर होती है और यह 4-5 दिन तक रहती है। स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा.आशु बजाज जानकारी देते हुए बताती हैं कि माहवारी के समय स्वच्छता रखना बेहद अहम है, जरूरी है कि इस समय सेनेटरी पैड इस्तेमाल किये जाए अगर पैड नहीं है तो साफ धुला और धूप में सूखा हुआ कॉटन कपडा भी इस्तेमाल किया जा सकता है। सफाई के साथ ही 2-3 घंटे के अन्तराल पर कपड़ा या पैड बदलना बहुत ही जरूरी है। अक्सर कामकाजी महिलाएं भी इस चीज को नजर अंदाज कर देती हैं। लम्बे समय तक एक ही पैड को लगाने से पसीना और रक्तस्त्राव कि वजह से बदबू के साथ ही यौन संचारी और प्रजनन मार्ग संक्रमण (आरटीआई/एसटीआई) फैलने कि संभावना रहती है। साथ ही उचित साफ सफाई नहीं रखने पर सर्वाइकल कैंसर होने की भी संभवाना होती है। जरूरी है सिर्फ माहवारी के समय ही नहीं बल्कि हमेशा ही पेशाब के बाद योनी को पानी से अच्छी तरह धोएं और बाद में साफ कपड़े से उसे साफ करले। योनी के आसपास किसी भी तरह कि नमी ना रहे, नमी रहने से खुजली और जलन होने कि पूरी संभवाना रहती है। पैड को इस्तेमाल करने के बाद इसका निस्तारण भी बहुत जरूरी होता है। इसको अखबार में लपेट कर कूड़ेदान में फंेकना चाहिए। इसे फ्लश करने से बचना चाहिए।

डा.आशू बजाज बताती हैं पेशाब करते समय जलन, गुप्तांगों के आस पास दर्द रहना और बदबूदार पानी आना प्रजनन मार्ग संक्रमण और यौन संचारित संक्रमण (आरटीआई/एसटीआई) के लक्षण होते हैं। इन रोगों के होने की मुख्य वजह साफ सफाई की कमी होना है। गुप्तांगो की उचित साफ सफाई नहीं रखने से इस तरह का संक्रमण होने की संभावना रहती है। डा.बजाज बताती हैं वक्त की जरूरत है कि माहवारी पर खुलकर बात होनी चाहिए। सिर्फ बात ही नहीं, बल्कि माहवारी के दौरान महिलाओं को होने वाली दिक्कतों जैसे पेट में दर्द, जी मिचलाना, कमर दर्द होना आदि पर भी बात होनी चाहिए क्योंकि इस वक्त में महिलाओं को बहुत ज्यादा सहयोग की जरूरत होती है। सिर्फ पुरुषों के बीच ही नहीं, बल्कि महिलाओं के बीच भी इस पर बात करना शर्म की बात समझी जाती है। इस पर जागरूकता की जरूरत है। कोई भी समस्या होने पर बिना हिचक के डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें और सही सलाह और इलाज लें। साथिया क्लिनिक पर तैनात काउंसलर रश्मि बताती हैं इस वर्ष कि अप्रैल 2020 से मार्च 2021 में 10 -14 वर्ष कि 133 लड़कियां क्लिनिक आई उनमें से 106 को (आरटीआई/एसटीआई) की पुष्टि हुई। 15 से 19 वर्ष कि 331 लड़कियां क्लिनिक आयीं उनमें से 275 (आरटीआई/एसटीआई) की पुष्टि हुई। हॉस्पिटल क्वालिटी मैनेजर नन्दलाल ने बताया कि इस वर्ष लगभग 2800 महिलाओं में (आरटीआई /एसटीआई) कि पुष्टि हुई है।

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