महापौर संयुक्ता भाटिया ने वायु प्रदूषण प्रबंधन की दिशा में सभी एजेंसियों से सक्रिय कार्रवाई का आह्वान किया

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लखनऊ के एक्शन प्लान में 17 एजेंसियों के बीच 56 उपायों एवं कदमों को लागू करने की जिम्मेवारी

लखनऊ, 1 अक्टूबर,2020 : काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) और सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट ( सीड ) द्वारा संयुक्त रूप से लखनऊ के क्लीन एयर एक्शन प्लान की वर्तमान दशा और भावी दिशा पर एक परिचर्चा “हाउ रोबस्ट इज लखनऊ’ज़ क्लीन एयर एक्शन प्लान” का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि लखनऊ की मेयर माननीया श्रीमती संयुक्ता भाटिया ने इस बात पर बल दिया कि शहर में वायु को स्वच्छ रखने के लिए जिम्मेदार सभी एजेंसियों को सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए.

इस मुद्दे पर सभी पक्षों और नागरिकों को एक मंच पर लाने के लिए सीईईडब्लू और सीड की सराहना करते हुए माननीया मेयर श्रीमती संयुक्ता भाटिया ने कहा कि “शहर के वातावरण को स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी विभिन्न एजेंसियों पर है, इसलिए यह जरूरी है कि सभी विभाग आपसी तालमेल के साथ काम करें, जिससे शहर की हवा की गुणवत्ता में निरंतर सुधार हो सके. इसके अलावा नागरिक भी स्वच्छ हवा के सरोकार में एक पर्यवेक्षक के रूप में खुद को जागरूक बना कर तथा अपनी जीवनशैली में बदलाव कर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.”

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत दर्ज 122 शहरों (नॉन अटेन्मेंट सिटीज) में से 15 उत्तर प्रदेश में हैं, जहां प्राथमिक कदम के रूप में शहर केंद्रित क्लीन एयर एक्शन प्लान बनाने का निर्देश दिया गया, ताकि 2024 तक वायु प्रदूषकों को 20% से 30% तक कम किया जा सके. इस सूची के 102 शहरों का क्लीन एयर एक्शन प्लान सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है, जिस पर आधारित सीईईडब्लू के एक अध्ययन में ये पाया गया है की लखनऊ के योजना को लागु करने की ज़िम्मेदारी 17 विभिन्न अगेंसियों में बटी हुई है. योजना में अंकित ५६ कार्यों में से लगभग ५० प्रतिशत कार्य एक से अधिक एजेंसी के दाएरे में आते है, जिस से जवाबदेहि बंट सकती है.

परिचर्चा में अपने विचार रखते हुए तनुश्री गांगुली, प्रोग्राम एसोसिएट, सीईईडब्लू ने कहा कि “लखनऊ की वायु गुणवत्ता में लॉकडाउन के दौरान सुधार देखा गया. कई दिनों में PM2.5 की मात्रा  35 ug/m3से भी कम पायी गयी. लेकिन सितंबर माह के कई दिनों  में हवा में PM2,5 की मात्रा  60 ug/m3  से अधिक थी . अब फिर से आर्थिक गतिविधियों की शुरुआत हो गई है, सड़कों पर वाहनों की वापसी हो गई है, साथ ही जाड़े की शुरुआत होने वाली है. इन परिस्थितियों में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा लखनऊ नगर निगम को वायु प्रदूषण के प्रति सचेत रहना होगा.”

इस मौके पर सुश्री अंकिता ज्योति, सीनियर प्रोग्राम ऑफिसर, सीड ने कहा कि “इस समय महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि इन योजनाओं का समय पर कैसे क्रियान्यवन किया जाए. पिछले एक वर्ष में यह देखा गया कि एक्शन प्लान में दर्ज कार्यक्रमों को क्रियान्वयन एजेंसियों द्वारा उचित और सततशील ढंग से लागू नहीं किया गया. हम सरकार तथा क्रियान्वयन एजेंसियों से एक्शन प्लान को तेजी से और प्रभावशाली ढंग से लागू करने तथा इसकी प्रगति में पारदर्शिता बरतने की अपील करते हैं.”

परिचर्चा में सुश्री प्रियंका सिंह, कंसलटेंट, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कहा कि ‘उत्तर प्रदेश सभी एक्शन प्लान पर माइक्रो लेवल प्लानिंग के साथ काम कर रहा है. राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी रियल टाइम मॉनिटरिंग से जुड़े कदम उठा रहा है. हम इन क़दमों में पारदर्शिता भी लाएंगे. हम निवारक कदम उठाते समय लखनऊ के स्थान-परिवेश के अनुरूप मुद्दों को भी शामिल करने पर खास अमल करेंगे.”

सीईईडब्लू और अर्बन एमिशन के अध्ययन में भी पाया गया कि उत्तर प्रदेश के 15 शहरों के एक्शन प्लान में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास सिर्फ 20% निवारक गतिविधियों का भार है. वहीँ नगर निगम तथा स्थानीय शहरी निकायों के दायरे में 44% तथा परिवहन विभाग के तहत 18% कार्यों  की जिम्मेवारियां आती हैं.

अध्ययन के अनुसार उत्तर प्रदेश के किसी भी शहर एक्शन प्लान में प्रस्तावित निवारक क़दमों के लिए किसी बजट का प्रावधान नहीं है. वित्त वर्ष 2019-20 में पांच शहरों (जिनमें लखनऊ, कानपुर, आगरा, वाराणसी तथा इलाहाबाद शामिल हैं) ने वायु प्रदूषण प्रबंधन के लिए 10 करोड़ रूपये प्राप्त किया. 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा के अनुसार यूपी के सात शहरों (इलाहाबाद, आगरा, लखनऊ ,कानपुर, मेरठ, गाजियाबाद और वाराणसी) को वायु प्रदूषण सूचकांक में सुधार हेतु वित्त वर्ष 2020 -21 में अनुदान दिया जाएगा. सिर्फ तीन शहरों, कानपुर, लखनऊ तथा वाराणसी के सिटी एक्शन प्लान में विविध प्रदूषक स्रोतों से होने वाले उत्सर्जन पर आंकड़े हैं. लेकिन किसी भी प्लान में इस बात की जानकारी नहीं है की पार्टिकुलेट मेटर के बन्ने में इन सभी स्त्रोतों का योगदान कितना है.अर्बन एमिशन के एक आकलन के अनुसार घरेलू जलावन (20%), यातायात  सम्बन्धी उत्सर्जन (15%) तथा धूल (15%) का लखनऊ के पीएम 2.5 में मुख्य योगदान है.

परिचर्चा में स्वतंत्र पत्रकार और लीगल कंसलटेंट श्री रामदत्त त्रिपाठी ने भी अपने विचार व्यक्त किए.

अध्ययन प्रणाली : वायु प्रदूषण और इसके नियंत्रण के विषय पर व्यापक अध्ययन के आधार पर सीईईडब्लू और अर्बन एमिशन ने स्वच्छ वायु योजना के मुख्य कारकों को निर्धारित किया. इसमें 102 सिटी एक्शन प्लान की समीक्षा की गई. इस अध्ययन में उपलब्ध कानूनी ढांचा, सूचनाओं का स्रोत, जबाबदेही का निर्धारण के साथ प्रस्तावित समाधान के लिए वित्तीय लागत को आधार बनाया गया. उसके बाद वर्णात्मक सांख्यिकी का उपयोग कर तथ्यों की व्याख्या की गई तथा अंतरराज्यीय विश्लेषण कर इन प्लान में व्याप्त अंतर को समझा गया.

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