अवधनामा संवाददाता
लिखित सामग्री ही साहित्यकार को जिंदा रखती हैः प्रो.अली अहमद फातमी
प्रयागराज(Praygraj)। दरियाबाद स्थित इमामबाड़ा मोजिज नुमा अलमारूफ जद्दन मीर साहब में रविवार की देर रात ईरान में तालीमयाफ्ता मौलाना आमिरुर रिजवी के नए एवं प्रथम काव्य संग्रह बाराने मिधात का विमोचन इलाहाबाद विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो.अली अहमद फातमी तथा मदरसा इमामिया अनवारूल उलूम के प्रधानाचार्य मौलाना जवादुल हैदर के द्वारा किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मौलाना सैयद रजी हैदर ने की। निजामत जावेद रिजवी करारवी ने की। अन्य वक्ताओं में डा.मुंतजिर मेहदी सुहेल, डा. मीर कल्बे अब्बास मेरठी व हसनैन मुस्तफाबादी शामिल रहे। कार्यक्रम का आरम्भ सैयद रजा अब्बास जैदी द्वारा तिलावते कुरान पाक और हदीसे किसा से हुआ। शायर मोहम्मद परवेज ने नाते पाक का नजराना पेश किया।
मुख्य वक्ता प्रो.अली अहमद फातमी ने कहा कि मौजूदा हालात में पुस्तक लिखना और प्रकाशित कराना एक बहुत ही मुुश्किल काम है। मौलाना आमिर अभी युवा हैं और समाज को उनसे बहुत सी अपेक्षाएं हैं। इस नए काव्य संग्रह की भाषा आम समझ से कुछ बुलन्द है लेकिन शायरी के मेयार पर यह पूर्णतया उचित है। लिखित सामग्री को बढ़ावा दिया जाना चाहिए क्योंकि यही प्रकाशन किसी साहित्यकार को अदबी जिंदगी देता है। मौलाना जवादुल हैदर रनकप ने कहा कि मौलाना आमिर एक प्रतिभाशाली युवा हैं और उम्मीद है कि इनकी गद्य और पद्य में कई किताबें अगले दो तीन बरसों में सामने आ जायेंगी। मौलाना सैयद रजी हैदर ने कहा कि बेहतरीन कलाम वही है जो पढ़ने और सुनने वाले की समझ में आसानी से आ जाए।
विमोचन समारोह में मौलाना सफदर हुसैन जौनपुरी, अनीस जायसी, हाजी सैयद अजादार हुसैन, बाकर नकवी, डा. कमर आबिदी, रौनक सफीपुरी, शादाब मसिहुज्जम, रजा हसनैन एडवोकेट, महमूद जैदी, मौलाना आमिर के पिता सैयद साबिर हुसैन, हसन नकवी, शायर आबिद सोनवी, जावेद करारवीं, नजीब इलाहाबादी सहित अनेक लोग मौजूद रहे।