अवधनामा ब्यूरो
लखनऊ. किसान आन्दोलन को लेकर सरकार की खामोशी के मुद्दे पर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि ऐसा महसूस हो रहा है कि सरकार किसान आन्दोलन के खिलाफ कोई रूपरेखा तैयार करने में लगी है. टिकैत ने साफ़ कर दिया है कि समाधान निकलने से पहले किसान वापस जाने वाले नहीं हैं. सरकार के साथ फिर से बातचीत को लेकर सवाल उठा तो उन्होंने कहा कि बातचीत का प्रस्ताव भी सरकार को ही लाना होगा.
ऊधमसिंहनगर जा रहे राकेश टिकैत ने अफजलगढ़ में पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में कहा कि फिलहाल तो 24 मार्च तक कई जगहों पर महापंचायत का कार्यक्रम तय है. जब उनसे 26 जनवरी की हिंसा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सारा बखेड़ा सरकार का ही रचा हुआ था.
टिकैत से जब यह पूछा गया कि किसान अपनी खड़ी फसलों को क्यों नष्ट कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि हमने तो किसानों को ऐसा करने से मना किया है क्योंकि अभी ऐसा वक्त नहीं आया है लेकिन सरकार की तरफ से तो किसानों से अभी तक कुछ नहीं कहा गया.
राकेश टिकैत ने बताया कि किसानों ने तय कर लिया है कि वह अपनी ग्रहूँ की फसल एमएसपी पर ही बेचेंगे. एमएसपी पर गेहूं न खरीदा गया तो सरकार ज़िम्मेदार होगी. किसान इस मुद्दे पर जिलाधिकारी के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन करेंगे.
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दिल्ली बार्डर पर आन्दोलन कर रहे किसानों की एक बड़ी मांग एमएसपी भी है. एमएसपी की गारंटी का क़ानून चाहते हैं किसान. किसानों ने केन्द्र के बनाए नये कृषि क़ानून मानने से इनकार कर दिया है. एक तरफ सरकार का दावा है कि इससे किसानों को फायदा होगा तो दूसरी तरफ किसानों का दावा है कि इन कानूनों से किसान बर्बाद हो जायेंगे.