अवधनामा ब्यूरो
नई दिल्ली. गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान लाल किले पर झंडा फहराने और हिंसा भड़काने का इल्जाम झेल रहे पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू ने पलटवार किया है. सिद्धू ने कहा है कि अगर मैं राज़ खोलने पर आया तो बहुत सी बातें खुलेंगी. सिद्धू ने संयुक्त किसान मोर्चे पर तानाशाही रुख अपनाने का आरोप भी मढ़ा और कहा कि इतने अहंकार में रहोगे तो कोई भी साथ नहीं खड़ा होगा.
दीप सिद्धू ने फेसबुक लाइव कर अपनी स्थिति साफ़ करते हुए कहा कि हमारे मोर्चे और इस संघर्ष को कोई दिक्कत न आये इसलिए मैं चुप था लेकिन जिस तरह से मेरे खिलाफ नफरत फैलाई जा रही है उसमें कुछ बातें साफ़ करना बहुत ज़रूरी हो गया है.
सिद्धू ने कहा कि ट्रैक्टर रूट तय होने के बाद ही युवाओं में रोष पैदा हो गया था. युवाओं ने कहा था कि दिल्ली के अन्दर जाने का एलान था लेकिन बाद में तय रूट पर जाने को कहा गया. हमें सरकार के तय रूट पर जाना मंज़ूर नहीं है. हालात संभालने के लिए मुझे स्टेज पर बुलाया गया था. मैंने सभी को समझाया. साझा फैसला लेने को कहा. 26 जनवरी को जब मैं लाल किले पहुंचा तो गेट टूटा हुआ था. अन्दर हज़ारों की संख्या में लोग थे. उन्हें समझाने के लिए वहां कोई बड़ा नेता नहीं था.
दीप सिद्धू ने कहा कि लाल किले पर खाली जगह पर लोगों ने निशान साहिब और किसानों का झंडा फहराया लेकिन किसी सम्पत्ति को नुक्सान नहीं पहुंचाया. बाद में वहां जो हुआ वह सरकार के रवैये की वजह से हुआ. किसान नेताओं को ऐसे वक्त में साथ खड़ा होना चाहिए था मगर सबने मुझे गद्दार ठहरा दिया. मतलब वहां मौजूद तीन से पांच लाख लोग गद्दार हो गए.
दीप सिद्धू ने कहा कि अगर सारा कुछ मेरे कहने से हो गया तो फिर तुम काहे के लीडर, फिर तो सारा का सारा कैडर मेरा. मुझे आरएसएस और बीजेपी का बताया गया. इस तरह से नेताओं की बदनीयती सामने आ गई. दीप ने कहा कि कहा जा रहा है कि मैं मोटर साइकिल से भाग गया हूँ जबकि मैं सिन्धु बार्डर पर हूँ. वहीं से ट्रैक्टर पर बैठकर लाइव का रहा हूँ.
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दीप सिद्धू ने किसान नेताओं को सीख देते हुए कहा है कि मैं सच को सामने लाकर रहूँगा. तुम खुद को क्या समझकर बैठे हो, तुम अपनी मानसिकता बदलो वर्ना कोई तुम्हारे साथ कभी खड़ा नहीं होगा. तुम बाद में पछताओगे. सरकार ने मेरे पीछे लोग लगा दिए हैं. अगर मैं परतें खोलने पर आ गया तो किसी को कुछ नहीं मिलेगा.