अवधनामा ब्यूरो
लखनऊ. उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की पत्रिका छायानट का 163वां अंक भारतरत्न विख्यात सितार वादक पण्डित रविशंकर को श्रद्धांजलि स्वरूप समर्पित है. सात अप्रैल को पं. रविशंकर की 101वीं जयंती है.
छायानट के इस विशेषांक में गुरु सुमिरन, अनुभूति, आकलन, संस्मरण, नवोन्वेषण, काव्याभिव्यक्ति, साक्षात्कार, चित्रवीथी, अतीत से और आत्मकथ्य जैसे खण्ड हैं.
अंक में पंडित रविशंकर और अकादमी गतिविधियों से संबंधित सौ से अधिक चित्र हैं. वरिष्ठ पत्रकार राजवीर रतन के संपादन में प्रकाशित विशेषांक के इन खण्डों में पण्डितजी की पत्नी सुकन्या शंकर, उनके भांजे नबारुन चटर्जी, प्रमुख शिष्यों में पं. विश्वमोहन भट्ट, शुभेन्द्र राव, प्रो.कृष्णा चक्रवर्ती, मंजू मेहता व सतीशचन्द्र, प्रमुख कलाकारों में पं.हरिप्रसाद चौरसिया, पं.बिरजू महाराज, पद्मश्री मालिनी अवस्थी, संगीत विद्वानों में दिल्ली के डा.मुकेश गर्ग, पं.विजय शंकर मिश्र, मंजरी सिन्हा व डा.राज्यश्री बनर्जी, वाराणसी के ऋत्विक सान्याल, राजेश कुमार शाह, राजेश्वर आचार्य, गौतम चटर्जी, रविन्द्रनारायण गोस्वामी, मुम्बई के आचार्य अनुपम राय, देवाशीष डे, जयपुर के राजेशकुमार व्यास, रश्मि चौधरी, अभिजीत राय चौधरी, हरिकिशोर पाण्डे, अंशुमान पाण्डे इत्यादि के मौलिक लेख व अभिव्यक्तियां हैं.
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178 पृष्ठ वाले इस अंक में रेज़ी रास, शबाहत हुसैन विजेता, धीरज, छायाकार राकेश सिन्हा, मुमताज आलम आदि का सहयोग रहा है. इसके अलावा रविशंकर की आत्मकथात्मक पुस्तक ‘रविशंकर रागमाला’ कें अंशों के साथ पं.मदनलाल व्यास का लेख व अन्य सामग्री भी है.