अवधनामा ब्यूरो
नई दिल्ली. मध्य प्रदेश के एक किरायेदार को तीन साल से किराया न देने की वजह से देश की सर्वोच्च अदालत ने तत्काल किराया अदा करते हुए मकान खाली करने का आदेश दिया है. अदालत ने किरायेदार से कहा है कि किरायेदार चाहे जितने साल से भी मकान में काबिज़ हो मगर वह उसका मालिक नहीं हो जाता है. वह मकान में भी रहेगा और किराया भी नहीं अदा करेगा मतलब शीशे के घर में रहते हुए दूसरों के घरों पर पत्थर फेंकेगा.
जस्टिस रोहिंग्टन एफ नरीमन ने मामले की सुनवाई करते हुए किरायेदार दिनेश से कहा कि उसे तत्काल परिसर खाली करना होगा. मकान मालिक का पूरा किराया भी अदा करना होगा. अदालत ने बकाया किराया अदा करने के लिए वक्त देने से इनकार करते हुए कहा कि मकान मालिक को बहुत परेशान कर चुके अब वक्त नहीं दिया जा सकता. तुरंत किराया अदा कीजिये और परिसर को खाली कीजिये.
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सुप्रीम कोर्ट ने बकाया रकम अदा करने के लिए वक्त देने से इसलिए इनकार किया क्योंकि निचली अदालत ने भी बकाया किराया चुकाने और परिसर खाली करने को कहा था. निचली अदालत ने यह भी कहा था कि बकाया नौ लाख रुपये किराया अदा करने और परिसर खाली करने में जितना वक्त लगे उसके लिए मकान मालिक को 35 हज़ार रुपये महीना देना होगा. किरायेदार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेन्ज कर दिया था.