अवधनामा ब्यूरो
लखनऊ. लोग अपनी जिंदगी की मसरुफियत में यह भूल जाते हैं कि जिंदगी मिली है तो एक न एक दिन मौत भी आनी तय है और उसका आख़री ठिकाना कब्रिस्तान है. कब्रिस्तान वह जगह जो इंसान की आखिरी मंजिल है. मौत एक खतरनाक लफ्ज़ है. कुछ लोग तो ये शब्द सुनकर ही डरने लगते है. बहुत लोग मरना ही नहीं चाहते जबकि सच्चाई यह है कि इससे कोई भी जीवित इंसान बच नहीं सकता और उसकी आखरी मंजिल कब्रिस्तान होगी जो वीरानियों और सन्नाटे भरी होती है.
यह भी पढ़ें : अल्पसंख्यक दर्जे के मुद्दे पर सुप्रीमकोर्ट ने किया केन्द्र सरकार से जवाब तलब
प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इसाई समुदाय ने कभी नहीं सोचा होगा की मौत के बाद दफन करने के लिए जमीन के लिए भी जद्दोजहद की नौबत आ जायेगी. निशातगंज स्थित इसाई समुदाय की कब्रिस्तान में सिर्फ 70 कब्रों की जमीन बची है जबकि सदर स्थित कब्रिस्तान में मात्र 110 कब्रों की जगह है. जमीनों की कमी को देखते हुए अब ऐसी कब्रों को चिन्हित किया जा रहा है जो कच्ची है और खस्ताहाल स्थित में है और जिन कब्रों पर दो नवम्बर आल सोल्स डे के अवसर पर भी जिनके परिजन नहीं आते हैं उन कब्रों को पलटने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.
यह भी पढ़ें : शाहनवाज़ हुसैन को नीतीश सरकार में मिला उद्योग मंत्रालय
कब्रों के पलटने की प्रक्रिया के साथ ही अब कब्रों की गहराई भी कम की जा रही है. जहाँ पहले कब्रों की गहराई आठ फिट होते थी वहीं यह गहराई छह फिट की जा रही है. ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि भविष्य में पलटने में आसानी रहे.
जमीनों की कमी की वजह से तेजी से भर रही कब्रों के पंजीकरण की प्रक्रिया को बरियल बोर्डं ने फिलहाल रोक लगा दिया है. लोगों की यह इच्छा होती है की आस-पास ही घर वालों की कब्रें रहे जिसके लिए पहले से ही इसका पंजीकरण कराकर आरक्षित कर लेते है. बोर्ड ने अब पहले से पंजीकरण करके बुक की गयी कब्रों को बरियल बोर्ड वापस ले रहा है और पंजीकरण राशि को वापस करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
यह भी पढ़ें : नाभिकीय हथियार बनाने में सक्षम हो गया है उत्तर कोरिया
मौजूदा स्थित में इसाई समुदाय शहर की दो ही कब्रिस्तानों का इस्तेमाल कर रहा है. जबकि अलीगंज सेक्टर क्यू, भूतनाथ और बेलीगारद की कब्रिस्तानों पर ताले लगे हुए हैं. जमीनों की कमी से चिंतित क्रिश्चियन बरियल बोर्ड ने नगर निगम लखनऊ से अतिरिक्त जमीन की मांग भी की है.
इस बाबत लखनऊ क्रिश्चियन बरियल बोर्ड के सचिव जगदीप जोसेफ का कहना है कि सन 2020 जनवरी में लखनऊ नगर निगम को पत्र भेजकर नई कब्रिस्तान की जगह की मांग की गयी थी लेकिन अभी तक उस पत्र का कोई जवाब नहीं प्राप्त हुआ है. सचिव ने कहा कि बंद पड़ी सेक्टर क्यू अलीगंज, बेलीगारद और भूतनाथ के पीछे वाली कब्रिस्तानों के इस्तेमाल के लिए प्रशासन अनुमति दे या फिर नई जमीन के लिए जगह दिलाये यह सरकार की ज़िम्मेदारी है.
यह भी पढ़ें: अखिलेश की ‘महिला घेरा’ बताएगी योगी की ‘मिशन शक्ति’ की हकीकत?
इस सम्बन्ध में लखनऊ के नगर आयुक्त अजय द्विवेदी का कहना है कि मामला संज्ञान में नहीं है. इसाई समुदाय और बरियल बोर्ड से बात करके समस्या का निस्तारण किया जाएगा.