अवधनामा ब्यूरो
लखनऊ. पीढ़ी दर पीढ़ी जंगलों में गुजर बसर करते आ रहे वनटांगिया, थारू और मुसहर समुदाय के लोग अब तक न सिर्फ अभाव की जिंदगी जीने को विवश थे, बल्कि समाज की मुख्यधारा से जुड़ना इनके लिए सपना था। परन्तु अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से वनटांगिया, थारू और मुसहर समुदाय के जीवनस्तर में बदलाव दिखने लगा है। इनके वन ग्रामों को राजस्व गांव गांव का दर्जा मिल गया है। इनके गांवों में पढ़ाई से लेकर इलाज तक की सुविधाएं पहुंच गई हैं। बिजली की रोशनी रात में इनके गांवों को जगमगाती है। मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत बनाए गए आवास इन समुदाय के लोगों को मुहैया कराए गए हैं। इनके गांवों में शौचालय बनाए गए हैं। सरकार के प्रयासों से हुए बदलावों के कारण अब वनटांगिया, थारू और मुसहर के लोग पंचायत चुनावों में हिस्सा लेने की पहल कर रहे हैं।
चार साल पहले वनटांगिया, थारू और मुसहर समुदाय के लोगों के लिए यह सुविधाएं पाना एक सपना ही था। परन्तु अब इन समुदाय के लोगों के गांवों में बिजली, सड़क और पेयजल का काम तेजी से चल रहा है। इन गांवों में नागरिकों को विधवा पेंशन, वृद्धवस्था पेंशन, छात्रवृत्ति और राशनकार्ड जैसी सुविधाएं मिलनी शुरू हो गई हैं। इसी तरह से चंदौली और कुशीनगर में मुसहर समाज की बस्तियों में हर परिवार को आवासीय पट्टा, खेती करने लायक ज़मीन, रहने के लिए घर, राशनकार्ड, पेंशन और मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत इन्हें आवास मुहैया कराने की व्यवस्था की जा रही है।
इन जातियों (वनटांगिया और मुसहर) के लोगों को 2017 से पहले सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था। वनटांगिया गांवों को तो राजस्व का दर्जा भी नहीं मिला था, आज इन लोगों को अभियान चलाकर जमीन का पट्टा दिया जा रहा है। ऐसे लोगों को उज्ज्वला योजना के तहत रसोई गैस का सिलेंडर, बिजली का कनेक्शन, आयुष्मान भारत के अंतर्गत पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य का बीमा कवर भी करवाया जा रहा है।
इसी प्रकार थारू समाज को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए प्रदेश सरकार जंगलों में बसे थारू जनजाति के गांवों को वन विभाग की ‘होम स्टे’ योजना से जोड़ने जा रही है। सरकार का मत है कि होम स्टे योजना के जरिये जंगलों के बीच बसे थारू गांवों को आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बनाने के साथ रोजगार से सीधे जोड़ा जा सकेगा। जंगल के बीच बसे इन गांवों में बिना किसी निर्माण और तोड़ फोड़ के होम स्टे योजना से जोड़ा जाएगा।
थारूओं के प्राकृतिक रूप से बने आवास और झोपड़ियों का इस्तेमाल ग्रामीणों की सहमति से सैलानियों के ठहरने के लिए किया जाएगा। वन निगम थारू समुदाय के लोगों को सैलानियों से बातचीत और बेहतर व्यवहार का प्रशिक्षण दे रहा है। इसके अलावा थारूओं के बनाए थैले, कैप, कपड़े, शहद आदि की बिक्री का भी इंतजाम करने के साथ ही इनके बच्चों की पढ़ाई तथा इलाज की व्यवस्था सरकार ने की है। यही नहीं प्रदेश सरकार ने वनटांगिया और मुसहर जाति की निराश्रित महिलाओं को पेंशन भी मुहैया करा रही है।
प्रदेश सरकार के इन प्रयासों के कारण ही वनटांगिया, मुसहर और थारू समुदाय के लोगों के जीवन में बदलाव दिखने लगा है। गोरखपुर व महराजगंज में वनटांगिया समाज की करीब 50 हजार आबादी वन्य क्षेत्र में निवास करती है। इनमें 30 हजार के करीब मतदाता हैं। अकेले गोरखपुर के चरगावां ब्लॉक में पांच हजार आबादी रहती है। यहां करीब तीन हजार से ऊपर मतदाता हैं। चरगावां ब्लॉक में वनटांगिया समुदाय के पांच गांव हैं। कहने को तो ये गांव थे, लेकिन कोई इनकी सुध लेने वाला नहीं था।
रजहीं खाले टोला निवासी रामहेत बताते हैं, ‘मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हम सबके पालक हैं। उनके कारण ही अच्छा जीवन व्यतीत हो रहा है। उन्हीं की बदौलत हम सभी का अस्तित्व बरकरार है। पहले यहां कोई अधिकारी या कर्मचारी नहीं आता था।’ कुछ इसी तरह की बात चंदौली में रहने वाले मुसहर समाज के लोग कहते हैं। उत्तर प्रदेश में कुल 66 अनुसूचित जातियां हैं। 2011 की जनगणना के हिसाब से इनकी कुल जनसंख्या 4,13,57,608 है। उसमे से भी मुसहरों की कुल जनसंख्या 2,57,135 है
जो उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जातियों की जनसंख्या के एक प्रतिशत से भी कम है इतनी छोटी जनसंख्या होने के कारण मुसहर आसानी से दिखाई नहीं पड़ते हैं और पहले की सरकारें इनका ध्यान भी नहीं रखती थी, परन्तु अब सैंकड़ों मुसहर परिवारों को सरकार से मकान मिला है। आजमगढ़ में मुसहर जाति के 2138 लोगों को आवास और 1137 लोगों को मिला जमीन का जमीन का पट्टा दिया गया है।
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मात्र चार वर्षों में वनटांगिया, मुसहर और थारू समुदाय के लोगों सरकार से मिली प्रोत्साहन और मदद से इस समुदाय में भी आत्मविश्वास बढ़ा है। जिससे अब इस समुदाय के लोग पंचायत चुनावों में अपनी ताकत दिखाने का हौसला कर रहे हैं। इस बदलाव को लेकर समाजशास्त्री सुभाष मिश्र कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सूबे की सत्ता संभालने के बाद हर दीपावली पर वनटांगिया समुदाय के लोगों के गांव हर दीपावली पर जाते है, दुनिया ने यह देखा है। ऐसे में इस समुदाय के लोगों के गांवों में बदलाव आया और इससे अब वनटांगिया, मुसहर और थारू समुदाय के लोग पहली बार गांव की सरकार चुनने के जोश में हैं।