Wednesday, April 24, 2024
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BSA की करतूत का खामियाजा भुगत रहा अध्यापिका परिवार

जौनपुर। यही वो आदेश है कि जिसमे साधना चतुर्वेदी की एकल पदोन्नति करके प्रा वि भुवालापट्टी पर पदस्थापित किया गया और आनन् फानन में कार्य भार ग्रहण करा दिया गया है। गौरतलब है कि साधना चतुर्वेदी ने पदोन्नति हेतु बुलाये गए साक्षात्कार में प्रतिभाग न करते हुए अपनी पदोन्नति छोड़ दी थी। नियमतः वह 3 साल तक पदोन्नति का लाभ नही ले सकती बावजूद इसके नियमो/शासनादेशों की अनदेखी करते हुए  BSA जौनपुर ने अपने आदेश पत्रांक बे-1/पदोन्नति/73-78/2018-19 दिनांक04-04-2018 के द्वारा साधना चतुर्वेदी का एकल प्रमोशन करते हुए उस विद्यालय पर पदस्थापित कर दिया जहाँ की प्रधानाध्यापिका श्री मती सुषमा 28अक्टूबर2017 से 24 जनवरी 2018 तक CCL अवकाश पर तथा दिनांक 25 जनवरी से अबतक चिकित्सीय अवकाश पर रहकर अपने बेटे और पति का इलाज मुम्बई में करा रही है।
प्रधानाध्यापिका सुषमा ने खंड शिक्षा अधिकारी सिरकोनी द्वारा दिनांक 25-01-2018 से संस्तुत बाल्य देखभाल अवकाश की पत्रावली BSA कार्यालय में रिसीव करायी थी पर उक्त अवकाश स्वीकृत ना करते हुए BSA महोदय ने सुषमा की फाइल रजिस्टर्ड डाक से उनके निवास के पते पर भेज दी ।गम्भीर रोग से ग्रसित बेटे और माउथ कैंसर से पीड़ित पति की गम्भीर हालत को देखते हुए सुषमा को लम्बे अवकाश की  सख्त जरूरत थी अतः उन्होंने माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद की शरण ली। माननीय कोर्ट ने अवशेष 21 माह का बाल्य देखभाल अवकाश 10 दिनों में स्वीकृत करके कोर्ट को सूचित करने हेतु BSA जौनपुर को निर्देशित किया था।सुषमा द्वारा प्रार्थनापत्र के साथ उक्त आदेश मूलरूप में दिनांक 11-04-2018 को  BSA कार्यालय में रिसीव करा दिया था। पुनः 21-04-2018 को स्मरण पत्र प्राप्त कराया गया है तथा दिनांक 27-04-2018 को जिलाधिकारी महोदय को भी संज्ञानित किया गया है। परंतु BSA महोदय ने अबतक माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर कोई निर्णय नही लिया है। फलस्वरूप श्रीमती सुषमा अबतक चिकित्सीय अवकाश पर रहने को बाध्य है।ऐसी स्थिति में सुषमा के कार्यरत स्थान पर अन्य अध्यापक का पदस्थापन शासनादेश का खुला उलंघन है।चिकित्सीय अवकाश पर होने के कारण श्रीमती सुषमा का वेतन भी फ़रवरी 18 से बाधित है।जिससे उनके सामने गम्भीर आर्थिक समस्या उतपन्न हो गयी है  और बेटे के साथ- साथ जीवन और मौत की जंग लड़ रहे कैंसर रोगी पति का इलाज भी रुक गया है। शिक्षाधिकारियों की मानवीय संवेदनाये मर चुकी है वो इस विकट परिस्थिति में श्रीमती सुषमा का सहयोग करने की बजाय उनका उत्पीड़न और शोषण कर रहे है।
अजवद क़ासमी की रिपोर्ट 
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