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बहु-विवाह के मामले में सेना से बर्खास्त सिपाही अमर सिंह बालियान को सेना कोर्ट लखनऊ से राहत नहीं मिली प्रकरण यह था कि 20 जाट रेजीमेंट में सेवारत बालियान के विरुद्ध 15 जुलाई 2013 को उनकी दूसरी पत्नी श्रीमती रजनी तवांग ने कमांडिंग आफिसर को बहु-विवाह संबंधित शिकायती-पत्र भेजा l जबकि याची का कहना यह था कि वह गोहाटी रेलवे-स्टेशन पर वह शाम को खाना खाते वक्त उसने देखा कि एक महिला कुछ पैसे के लिए होटल पर विवाद कर रही थी, याची ने मानवता के कारण पैसे देकर विवाद को समाप्त किया उसके बाद रजनी तवांग ने याची से नजदीकियां बढ़ाकर फोटोग्राफ इत्यादि के आधार पर कई शिकायती-पत्र भेजे जिसके बाद याची के विरुद्ध 26 जुलाई 2013 को कारण बताओ नोटिस जारी करने के उपरान्त, सेना कोर्ट में मामला विचाराधीन होने के बावजूद उसे दिनांक 27 अक्तूबर 2014 को बर्खास्त कर दिया गया जो कि याची के अनुसार नहीं किया जा सकता था l
ए.ऍफ़.टी.बार एसोसिएशन के महामंत्री विजय कुमार पाण्डेय मीडिया को बताया कि सेना कोर्ट के न्यायमूर्ति एस.बी.एस.राठौर ने अपने निर्णय में अवधारित किया कि मामला विचाराधीन होने से उच्च-अधिकारियों के निर्णय लेने पर पाबंदी नहीं लग जाती जब तक कि कोई अंतरिम आदेश न हो, विजय कुमार पाण्डेय ने यह भी बताया कि याची के अधिवक्ता ने रजिस्ट्रेशन न होने के कारण शादी न मानने की दलील दी लेकिन कोर्ट ने कहा कि मुम्बई और कोलकाता पुलिस की रिपोर्ट से यह साबित होता है कि पहली पत्नी श्रीमती अंजू देवी ज़िंदा हैं इसलिए हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 5, 10 और 11 का सहारा नहीं लिया जा सकता क्योंकि पहली पत्नी के ज़िंदा है, रजनी तवांग के साथ ब्रम्हपुत्र रिसोर्ट में रुकने का विवरण, मुम्बई से कोलकाता, गोहाटी, नई दिल्ली से मुम्बई का एरोप्लेन टिकट और रजनी तवांग का मुम्बई में नौकरी में होना इत्यादि से संसूचित होता है कि याची ने दूसरी शादी की जो कानूनन गलत है l
ए.ऍफ़.टी.बार एसोसिएशन के महामंत्री विजय कुमार पाण्डेय ने बताया कि इस निर्णय में माननीय न्यायालय ने एक साथ रुकना, यात्रा सम्बन्धी टिकट, नौकरी और स्थाई निवास-स्थान इत्यादि की संसूचना के आधार पर दूसरा विवाह किए जाने का निर्णय सुनाया जो कि हिन्दू विवाह अधिनियम को परिभाषित करता है इससे भविष्य में बहुविवाह के मामले में न्याय पाना और सहज होगा l
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