Wednesday, April 24, 2024
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शव का अंतिम संस्कार करने को लेकर दो पक्षों में तनाव पुलिस बल तैनात

शव का अंतिम संस्कार करने को लेकर दो पक्षों में तनाव पुलिस बल तैनात
मोहनलालगंज। मोहनलालगंज थाना क्षेत्र के कल्ली पूरब गाँव मे मुस्लिम व्रद्ध महिला का शव दफनाने को लेकर दो समुदाय के लोग आपस मे मारपीट करने पर आमादा हो गए मोके की नजाकत देखते हुए ग्रामीणों ने  डायल सौ कन्ट्रोल रूम की सूचना दे दी सूचना के बाद पहुंची पुलिस ने हो रहे विवाद को सुलझाने का प्रयास किया लेकिन घन्टो जदोजहद के बाद भी दोनो पक्ष नही समझे फिर पुलिस ने तहसीलदार और लेखपाल ने मौके पर बुलाकर जमीन की पैमाइश ग्रामीणो के सामने कराई गई फिर जाके शव को उसी जगह पर पुलिस की मौजूदगी मे दफनाया गया। दोनो पक्ष में और गाव मे तनाव को देखते हुये पुलिस ने टीम को तैनात कर दिया गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कल्ली पूरब के रहने वाले शकील की 85 साल की बुजुर्ग  सुब्राता की मौत हो गयी जिसके बाद शकील ने अपनी मां के शव को दफनाने के लिये गाव के बाहर कब्रिस्तान मे खुदाई शुरू कराई इसकी खबर लगनें पर गांव के ही प्रेमशंकर अवस्थी ने अपनी जमीन को बताकर कन्ट्रोल रूम सूचना दी की एक विशेष समुदाय के लोग कब्र की खुदाई कर रहे इसकी सूचना मिलते ही पुलिस महकमे मे हडकम्प मच गया। और सूचना पाकर मोहनलालगंज कोतवाल धीरेन्द्र कुशवाहा भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचकर जमीन किसकी इसके बारे मे ग्रामीणो से पूछताछ कर दोनो पक्षो को समझाकर शव दफनाने की बात कही पर इस बात एक पक्ष राजी नही हुआ। इस पर इंस्पेक्टर धीरेन्द्र कुशवाहा सदर तहसील के तहसीलदार उमेश सिंह और लेखपाल म्रत्युन्जय त्रिवेदी को बुलाया और ग्रामीणो के सामने जमीन की नापजोख करायी जिसमे कब्र खोदने वाली जगह कब्रिस्तान मे ही पायी गयी जिसके बाद पुलिस की मौजूदगी मे शकील की मां का अन्तिम संस्कार किया गया। वही इसके बाद एक पक्ष मे तनाव को देखते हुये गांव मे पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
पहले भी विवादित स्थल पर दफनाये गये शव—–
ग्रामीणो ने बताया कि जिस जगह पर रविवार को शव दफनाने को लेकर विवाद उपजा था। जबकि उसी जमीन पर पहले भी शव दफनाये जा चुके और वह जगह कब्रिस्तान के नाम से ही जानी जाती है।
शिकायतकर्ता के बाबा ने भी विवादित जमीन को कब्रिस्तान बता कर नही की थी बिक्री—-
ग्रामीणो ने बताया की शिकायतकर्ता के बाबा सरोज ने विवादित जमीन के गाटे की करीब ढाई बीघा जमीन सन 1983 मे जब बेची थी तो अपने किये बैनामे मे भी यह बात स्पष्ट किया था। कि की शेष भूमि कब्रिस्तान की इस लिये इसका विक्रय नही कर रहे है। इसको लेकर ग्रामीणो ने कहाकि इससे यह बात स्पष्ट है कि उपरोक्त जमीन उस समय भी कब्रिस्तान के प्रयोग मे लायी जा रही थी। इसी लिये प्रेमांकर के बाबा सरोज ने बैनामा नही किया था।
मुकेश द्विवेदी की रिपोर्ट 
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