Thursday, April 25, 2024
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लखनऊ यूनिवर्सिटी का 60वां दीक्षांत समारोह

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लखनऊ यूनिवर्सिटी का 60वां दीक्षांत समारोह शनिवार को सम्पन्न हुआ। इस दौरान 97 मेधावियों को मिले 192 मेडल मिले जिसमें 161 मेडल छात्राओं को मिले। गवर्नर राम नाईक ने कहा कि लड़कों के लिए ये रेड सिग्नल है उन्हें अपना लेवल बढ़ाना होगा। देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी शनिवार को लखनऊ यूनिवर्सिटी के 60वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद थे। इस दौरान वह प्राइमरी स्कूल में पढ़ाने वाले अपने मौलवी शिक्षक को याद करके भावुक भी हो गए। उन्होंने कहा कि गुरु का स्थान मां-बाप के बराबर होता है। विशिष्ठ अतिथि के तौर पर डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा और कुलाधिपति व राज्यपाल राम नाईक भी मौजूद रहे।


60वें दीक्षांत समारोह में कुल 97 स्टूडेंट को 192 मेडल दिए गए। इसमें 161 मेडल छात्राओं को व 31 मेडल छात्रों को मिले। एमएससी की छात्रा आयुषी कपूर को सबसे ज्यादा 12 मेडल मिले जिसमें 11 गोल्ड मेडल और एक ब्रांज मेडल शामिल हैं। वहीं लॉ स्टूडेंट आशा तिवारी ने 9 मेडल जीते। इस दौरान अरुणिमा मुश्रान को वाइस चांसलर गोल्ड मेडल तो वहीं सक्षम अग्रवाल को चांसलर गोल्ड मेडल से नवाजा गया। वहीं सिल्वर जुबली गोल्डल मेडल डॉ. राजीव कुमार को मिला।
इस दौरान गृहमंत्री राजनाथ सिंह को भी मानद की उपाधि से नवाजा गया। राजनाथ ने अपने भाषण में कहा कि वह इस उपाधि के लायक नहीं लेकिन कुलाधिपति राम नाईक के आदेश को वह टाल नहीं सकते। राजनाथ सिंह के मुबताबिक, विवेकानन्द पहले ग्लोबल यूथ थे। हमें उन्हें फॉलो करना चाहिए। उन्होंने राम व रावण का उदाहरण दिया। वह बोले, रावण की पूजा नहीं होती, राम की होती है क्योंकि राम का चरित्र बहुत अच्छा ता। वह हमेश ही मर्यादा पुरुषोत्तम रहे। उन्होंने इन्फोसिस और अलकायदा का फर्क भी बताया। उन्होंने कहा कि दोनों जगह के युवक पढ़े लिखे हैं लेकिन संस्कारों का अंतर है।
राजनाथ बोले, ‘व्यक्ति का जीवन में कद बड़ा होता है तो कर्मों के कारण बड़ा होता है। आग्रह करना चाहता हूं कि गुरुओं का उल्लेख करना चाहता हूं। एक मौलवी साहब पढ़ाते थे, काफी स्ट्रिक्ट थे। जब मैं यूपी का शिक्षा मंत्री बना तो बनारस गया तो देखा कि मौलवी साहब मिलने आए हैं। वह काफी बूढ़े हो चुके थे, वो मेरे लिए फूल लेकर आए थे। जब तक मैं चला नहीं गया वह वहां तब तक रोते रहे। राजनाथ सिंह भी ये बताते हुए भावुक हो गए। फिर उन्होंने बताया कि गोरखपुर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में गया तो देखा कि मेरे गुरू लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, राम अचल जी नीचे बैठे थे। मैंने ऊपर बुलाया उन्हें। सारा हॉल ताली से गूंज पड़ा। छात्र ऊपर बैठे, गुरू नीचे बैठे यह ठीक नहीं।
डॉ. चक्रवर्ती गोल्ड मेडल से सम्मानित किए गए कोमल का जीवन बेहद कठिनाइयों भरा रहा है। वह दूध बेचकर स्कूल की फीस भरा करते थे। कोमल ने बताया कि उनके पिता प्रेम नारायण त्रिपाठी (48) किसान हैं और मां सुधा हाउस वाइफ है। घर की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी। पिता आलू की खेती करते थे। बाबा स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्हें 3000 रुपए पेंशन मिलती थी, जिससे घर खर्च चलता था। उनकी डेथ हो चुकी है। कोमल के मुताबिक, “मेरी प्राइमरी स्कूलिंग गांव में ही हुई है। कई बार स्कूल की फीस भरने तक के लिए पैसे नहीं होते थे। हमारे घर पर एक ही गाय थी। उसका दूध कभी घर के लिए इस्तेमाल नहीं हुआ, क्योंकि दूध बेचकर ही हमारे स्कूल की फीस आती थी।”
मड़ियांव की गुलशन जहां को दीक्षांत में पांच मेडल मिले। उन्होंने एआईएच से एमए किया है। गुलशन ने बताया कि मेरे पिता की बर्तन की दुकान है। मैं हमेशा से खूब पढ़ना चाहती थी। इसी जिद पर मैंने एडमिशन लिया और यहां तक पहुंची। हालांकि, मेरे घर में और कोई हायर एजुकेशन तक नहीं पहुंचा है इसलिए सभी बहुत खुश हैं।
एमएससी की छात्रा आयूषी कपूर को सबसे ज्यादा 12 मेडल मिले जिसमें 11 गोल्ड मेडल और एक ब्रांज मेडल शामिल हैं। वह रिसर्च वर्क में जाना चाहती हैं। आयुषी अलीगंज की रहने वाली हैं और उनके पिता की स्टेशनरी की शॉप है। आरुषि ने बताया कि वह रोजाना छह से सात घंटा पढ़ाई करतीं थीं। वह पीएचडी की तैयारी में जुटी हैं।
लॉ स्टूडेंट आशा तिवारी को 9 मेडल मिले। उन्होंने एलयू से एलएलबी की पढ़ाई की। आशा रायबरेली रोड की रहने वाली हैं। उन्होंने अपने लिए दो लक्ष्य तय किए हैं। वह देश की टॉप लॉ फर्म में काम करना चाहती हैं। इसके अलावा वह पीसीएस जे की भी तैयारी में जुटी हैं। वह जज बनना चाहती हैं।

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