जिले के बसरेहर ब्लॉक पंचायत में तीन गांव आते हैं. यहां की आबादी क़रीब 800 है. इन गांवों को स्वच्छ भारत अभियान के तहत खुले में शौच से मुक्त करने के अभियान के तहत यहां शौचालय बनवाए गए हैं. इन्हीं को केसरिया रंग से रंगा गया है. गांव के मुखिया वेद पाल सिंह के मुताबिक़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिस तरह स्वच्छता अभियान को प्रोत्सहित कर रहे हैं उसके प्रति समर्थन जताने के लिए पंचायत ने अपनी तरफ़ से ही यह कदम उठाया है. जिन 100 शौचालयों को भगवा रंग में रंगा गया है उनके अलावा 350 शौचालय और हैं. उन्हें लाभार्थियों की पसंद के अनुसार लाल, पीले या सफ़ेद रंग से रंगा गया है.
यही नहीं, 500 शौचालय और बनाए जाने की मंजूरी मिल चुकी है. वेद पाल सिंह के मुताबिक बनने के बाद उन्हें भी भगवा रंग से रंगा जा सकता है. उन्हाेंने इस बात पर जोर दिया कि यह फ़ैसला पंचायत का है. इसमें न सरकार की कोई भूमिका है न राजनीतिक दबाव. बसरेहर के ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफ़िसर प्रशांत सिंह ने भी कहा, ‘शौचालयों को किस रंग से रंगा जाए इस बाबत ग्राम प्रधानों को सरकार की तरफ़ से कोई निर्देश नहीं दिया गया है. यह लाभार्थियों के ऊपर है कि वे अपने यहां बने शौचालय में कैसा रंग करवाते हैं.’
हालांकि इस सफाई के बावज़ूद विपक्षी पार्टियों ने सरकार हमला करने का मौका नहीं छोड़ा है. समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, ‘ये धर्म का अपमान करने वाली सरकार है. भगवा वाले बाथरूम में कोई जाएगा तो सोचो किसका अपमान होगा? लोगाें के भले के लिए कोई कदम उठाने के बजाय भाजपा सरकार इस तरह के कामों सेे सिर्फ़ उनका ध्यान भटकाने का काम कर रही है. लेकिन इससे कोई बदलाव नहीं आने वाला.’
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने कहा, ‘वह (भगवा) सिर्फ़ रंग नहीं है. हमारी आस्था है. शौचालय पर आस्था वाला रंग?’ यहां याद दिला दें कि इससे पहले सचिवालय, सरकारी बसें, बिजली के खंभे, सरकारी दफ्तरों का फर्नीचर, डायरी, तौलिया, लखनऊ स्थित हज कमेटी का ऑफिस, पुलिस स्टेशन आदि को भी भगवा रंग से रंगे जाने के कारण प्रदेश की योगी सरकार सुर्ख़ियों में आ चुकी है.
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