मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनीं हूं, हर पल अंतरिक्ष के लिए बिताया और इसी के लिए मरूंगी:कल्पना चावला

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अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला की मौत 1 फरवरी 2003 को अंतरिक्ष से वापस लौटते वक्त हुई थी. अक्सर कल्पना कहा करती थीं मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनीं हूं, हर पल अंतरिक्ष के लिए बिताया और इसी के लिए मरूंगी. यह बात उनके लिए सच भी साबित हुई. उन्होंने 41 साल की उम्र में अपनी दूसरी अंतरिक्ष यात्रा की, जिससे लौटते समय वह एक हादसे का शिकार हो गईं. आइए जानते हैं उनकी लाइफ से जुड़ी ऐसी बातें जो बहुत कम लोग जानते हैं…

कैसे सपना हुआ सच
कल्पना हरियाणा के करनाल में बनारसी लाल चावला के घर 17 मार्च 1962 को जन्मी थीं. अपने चार भाई-बहनों में वह सबसे छोटी थीं. प्यार से घर में उन्हें मोंटू पुकारा जाता था. कल्पना में 8वीं क्लास के दौरान ही अपने पिता से इंजीनियर बनने की इच्छा जाहिर कर दी थी, लेकिन उनके पिता की इच्छा थी कि वह डॉक्टर या टीचर बनें. उनकी शुरुआती पढ़ाई करनाल के टैगोर बाल निकेतन में हुई. स्कूली पढ़ाई के बाद कल्पना ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज 1982 में ग्रेजुएशन पूरा किया.

इसके बाद वह अमेरिका चली गईं और 1984 टेक्सस यूनिवर्सिटी से आगे की पढ़ाई की. 1995 में कल्पना नासा में अंतरिक्ष यात्री के तौर पर शामिल हुईं और 1998 में उन्हें अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया. कल्पना के बारे में कहा जाता है कि वह आलसी और असफलता से घबराने वाली नहीं थीं.
ऐसे हुई मौत
जब उनका विमान कामयाबी के आगाज के साथ धरती पर लौट रहा था. तभी अचानक सफलता का यह जश्न पलभर में ही मातम में बदल गया और हर मुस्कुराते चेहरे पर उदासी छा गई. सभी बेसब्री से कल्पना चावला के लौटने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन खबर कुछ और ही आई. वैज्ञानिकों के मुताबिक- जैसे ही कोलंबिया ने पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया, वैसे ही उसकी उष्मारोधी परतें फट गईं और यान का तापमान बढ़ने से यह हादसा हुआ.

https://www.youtube.com/watch?v=PBLx74WM1t8


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