बिजली का निजीकरण नहीं, नाकारा अधिकारियों पर हो कार्यवाही
लखनऊ, बिजली विभाग के सात जनपदों उरई, इटावा, कन्नौज, सहारनपुर, मऊ, बलिया एवं रायबरेली की विद्युत आपूर्ति के विरोध में कई संगठन पहले ही विरोध प्रदर्शित कर चुके हैं, वहीं विद्युत कार्यालय सहायक संघ ने भी निजीकरण के विरोध में कमर कस ली है।
विद्युत कार्यालय सहायक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुनील प्रकाश पाल ने निजीकरण के मुद्दे पर केन्द्रीय कार्यालय में बैठक बुलाकर व्यापक रणनीति बनाए जाने की अपील करते हुए कहा विद्युत प्रबन्धन वितरण व्यवस्था को कूट रचित रणनीति के तहत निजी हांथों में सौंपना चाहती है निजी कम्पनी के हाथों में यह व्यवस्था दी जाती है तो निश्चित ही मनमानी दरें बसूली जाएगी क्योंकि उनका एक ही काम होता है कि वे जनता की जेब से कितना मुनाफा बटोर सकते हैं, निश्चित ही इससे भ्रष्टाचार तो बढ़ेगा ही साथ ही बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए आमजन को परेशान होना पड़ेगा, सीधे तौर पर बिजली का निजीकरण आम जनता के साथ उसके अधिकारों पर प्रहार करने जैसा है क्यांेंकि निजी कम्पनियां फिर माफिया की तरह कार्य करने लगती हैं। इसका बुरा असर जनता के बिभिन्न हिस्सों किसानों, मजदूरों, गरीबों व बिजली कर्मचारियों पर पड़ेगा। जिसके कारण वर्तमान सरकार के प्रति भी रोष उत्पन्न होगा। *उक्त सात सर्किलों में बिजली चोरी, नुकसान और घाटे पर लगाम कसने में कमोबेश नाकारा एवं अक्षमता स्वीकार कर चुके अधिकारियों का खामियाजा आमजन एवं कर्मचारी क्यों भुगतें, सही मायने में ऐसे अक्षम अधिकारियों की तत्काल प्रभाव से विभागीय सेवाएं समाप्त करने तथा दण्डात्मक कार्यवाही किए जाने की आवश्यकता है क्योंकि यदि उन्हें तत्काल प्रभाव से हटाया नहीं गया तो सात जनपदों को दीमक की भांति चांटने वाले अधिकारी अन्य जनपदों में तैनाती करा कर विभाग को खोखला करने का कार्य करेंगे।
प्रदेश अध्यक्ष ने विभाग को सुझाव भी दिया कि निगम द्वारा तकनीकी योग्यता के आधार पर नियुक्त किये गए अभियन्तागण अपने मूल तकनीकी कार्यों जैसे-विद्युत लाइनों, उपकेन्द्रों, परिवर्तकों आदि का अनुरक्षण, उपभोक्ता षिकायतों का निस्तारण, विद्युत चोरी की रोकथाम आदि के स्थान पर कार्यालयों में बैठकर लिपिकीय/लेखा/अधिष्ठान एवम् अन्य कागजी कार्यवाहियों में ही व्यस्त रहते हैं जिससे विद्युत उपकेन्द्रों, लाइनों, परिवर्तकों का रख-रखाव, उपभोक्ता षिकायतों का निस्तारण आदि कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है तथा तकनीकी कार्य न करने से धीरे-धीरे उनकी तकनीकी दक्षता/क्षमता/जानकारी संकुचित हो जाती है। विभाग में लिपिकीय/लेखा/अधिश्ठान एवम् अन्य कागजी कार्यावाहियों को सुचारू रूप से सम्पन्न करने हेतु लिपिकीय संवर्ग को अधिकार प्रदत्त किए जाएं।
मीडिया प्रभारी राजेन्द्र विक्रम ने जानकारी देते हुए बताया कि यदि प्रबन्धन ने इन सात जनपदों में वितरण व्यवस्था हेतु जारी प्रक्रिया को वापस नहीं लिया तो प्रदेश भर के कार्यालय सहायक कार्मिक कार्य वहिष्कार करेंगे।
कार्यक्रम में केन्द्रीय पदाधिकारियों में योगेन्द्र लाखा, मनीष श्रीवास्तव, आशीष त्रिपाठी, अशोक कुमार, जियाउद्दीन, गौरव वर्मा, अतेन्द्र कुमार सहित अन्य पदाधिकारी भी मौजूद रहे।
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