प्रशासन के फैसले से मुख्यमंत्री के शहर में हो गए बेरोज़गार

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प्रशासन के फैसले से मुख्यमंत्री के शहर में हो गए बेरोज़गारदुकाने बंद कराने से भैंस मीट के साथ चमड़े व होटल कारोबारियों के सामने खड़ा हुआ रोटी का संकट
मनव्वर रिज़वी
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गोरखपुर । कभी ग्राहकों की चहल पहल से आबाद रहने वाले शहर के ज्यादातर इलाके आज वीरान हैं। ये हाल अस्कारगंज, तुर्कमानपुर, बक्शीपुर, गोरखनाथ, जाफराबाज़ार, इलाहीबाग और रहमतनगर के उन इलाकों का है जहाँ कल तक भैंस के मीट का कारोबार होता था। सरकार बदली निज़ाम बदला और इन कारोबारियों की किस्मत भी बदल गई। गोरखपुर का स्लाटर हॉउस बंद हो जाने के बाद से इनके लाइसेंस का रिनिवल नहीं किया गया बावजूद इसके इनका कारोबार चलता रहा। आज इन लोगों और इनके परिवार के सामने रोज़ी रोटी का संकट पैदा हो गया है ऐसा नहीं है कि इससे सिर्फ मीट के कारोबारियों के सामने रोटी का संकट पैदा हुआ है बल्कि इससे साथ चमड़े का कारोबार करने वाले और शहर और आसपास के तमाम मुस्लिम होटल और वहां काम करने वालों का परिवार भी प्रभावित होगा। इस कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर हमारी दुकाने बंद हो गई तो हम भुखमरी का शिकार हो जायेंगे। बुधवार को इन कारोबारियों ने नगर आयुक्त से मुलाकात की लेकिन उन्होंने अपने हाथ खड़े कर लिए, इसके बाद मीट के ये कारोबारी जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे जहां इन्होंने सिटी मजिस्ट्रेट को अपना दुखड़ा सुनाया। इस संबंध में सिटी मजिस्ट्रेट जे0पी0 श्रीवास्तव ने बताया कि शहर में बिना लाइसेंस अब कोई दूकान नहीं चलेगी।


हालांकि शहर में मछली, मुर्गे व बकरे के मीट की भी सैकड़ों दुकानें हैं लेकिन उनके लाइसेंस की जाँच कराना प्रशासन ने उचित नहीं समझा और ये दुकाने पूरी तरह से खुली हुई हैं।
फिलहाल बड़ी संख्या में प्रभावित इन भैंस मीट व्यवसाई, चमड़ा व्यवसाय और मुस्लिम होटल से जुड़े परिवारों के सामने रोटी का जो संकट खड़ा हुआ है उसका जवाब किसी के पास नहीं है । इसके अलावा इस फैसले से कहीं न कहीं अल्पसंख्यक समुदाय भी अपने आने वाले कल को लेकर आशंकित नज़र आ रहा है।
एक झटके में मुख्यमंत्री के शहर में बड़ी संख्या में बेरोज़गार हुए इन लोगो को लेकर शासन – प्रशासन का अगला कदम क्या होगा ये देखना दिलचस्प होगा।

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