निर्णय अन्याय के विरुद्ध न्यायिक-संघर्ष कर रहे सैन्य अधिकारी की जीत: विजय कुमार पाण्डेय 

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ले.कर्नल लोकेश कंडपाल को सेना कोर्ट लखनऊ से मिला न्याय, आदेश रद्द, एक लाख का जुर्माना हुआ केंद्र पर  

निर्णय अन्याय के विरुद्ध न्यायिक-संघर्ष कर रहे सैन्य अधिकारी की जीत: विजय कुमार पाण्डेय 

ले.कर्नल लोकेश कंडपाल के विरुद्ध की गई कोर्ट आफ इन्क्वायरी और सेना द्वारा लिए गए निर्णय को सेना कोर्ट लखनऊ के न्यायमूर्ति डी.पी.सिंह और अनिल चोपड़ा की खंड-पीठ ने एक लाख रुपए के जुर्माने के साथ साथ ख़ारिज कर दिया और आदेशित किया कि याची को सेना के सभी लाभ दिए जाएँ . प्रकरण यह था की 8 गोरखा रायफल के ले.कर्नल लोकेश कंडपाल को सेना के उच्च-अधिकारियों को बचाने के लिए फर्जी केश में फंसा दिया गया . याची ने 7 जून 1997 को सेना  में कमीशन प्राप्त किया, 26 जनवरी 2005 को वीरता पुरस्कार दिया गया l 19 सितम्बर 2005 को 5/8 गोरखा रायफल की ए-कम्पनी मणिपुर में तैनात थी जहां आतंकवादियों ने घात लगाकर 1 जे.सी.ओ. और 10 अन्य को घात लगाकर मार दिया.

कोर्ट ने कहा कि जो टुकड़ी लेकर कंडपाल अन्य सैनिकों को बचाने गया था वह दंड-पाल के आदेश से गई थी जो उस जगह को कमांड  कर रहा था, न कि याची के आदेश पर, दूसरे  यह भी नियम है कि यदि मामला किसी के चरित्र और सेना की गरिमा से जुदा हो तो रुल 180 का विधिवत पालन किया जाना चाहिए, जो कि इस मामले में नहीं किया गया जो की भारत सरकार बनाम संजय सिंह में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गये निर्णय का उल्लंघन है .कोर्ट ने कहा कि वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट कडाई से सुचिता के साथ बनाया जाना चाहिए जिसका निर्धारण सुप्रीम कोर्ट ने एस.रामचंद्र राजू एवं यमुना शंकर के केश में कर चुका है और स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के मामले में तो दो भागों में सुप्रीम कोर्ट ने विभाजित भी कर दिया है, अधिकारी की क्षमता को विशेष महत्व दिया . कोर्ट ने कहा कि याची की अपील बगैर कारणों की व्याख्या किए खारिज करना गलत है जो कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है.

सुप्रीम कोर्ट ने कुमारी श्रीलेखा विद्यार्थी 1993, एल.आई.सी. 1995, एस.एन.मुखर्जी 1990, कृष्ण स्वामी 1993 एवं एनी कई मामलों में ऐसे आदेशो को खारिज कर चुका है और  कंडपाल को दी गयी सजा कई आधारों पर विधि-विरुद्ध है लिहाजा उन्हें अपराध मुक्त मानते हुए दुबारा विचार करने का मौक़ा दिया जाता है. बार के महामंत्री विजय कुमार पाण्डेय ने आदेश की कापी मीडिया को उपलब्ध कराते हुए बताया कि यह निर्णय अन्याय के विरुद्ध न्यायिक संघर्ष कर रहे एक सैन्य अधिकारी की जीत है जो सीमा पर खड़े प्रत्येक सैनिक को उर्जाप्र्दान करेगा, इस त्वरित निर्णय अन्य सैनिक भी न्याय पाने की उत्कंठा से सामने आयेंगे जो कि देश हित में होगा|

https://www.youtube.com/watch?v=ij2i2REOvGo&t=27s

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