दो गऊओं के सहारे बिटाना ने गांव को गोकुल बना डाला
मोहनलालगंज।निगोहां के मीरख नगर नगर गांव में
दो कामधेनु गायो के सहारे बिटाना ने गांव को गोकुल बना डाला। दुग्ध क्रान्ति लाने के जज्बे ने उन्हे आसपास जिलों की महिलाओं का प्रेरणास्रोत बना दिया है। निरन्तर परिश्रम के बल पर करीब एक दर्जन बार गोकुल पुरस्कार हासिल कर उन्होने इतिहास रच दिया है। हाल ही में उन्हें राष्ट्रपति पुरूस्कार से भी नवाजा जा चुका है। कभी दो दुधारु पाओं से शुरुआत करने वाली बिटाना अब तीन दर्जन से अधिक दुधारु पाशुओं से लाखों की आमदनी कर रही हैं।निगोहां के मीरखनगर के शिक्षक हरिनाम की कक्षा पांच पास पत्नी बिटाना ने सन 1995 मे एक गाय और भैंस को रखकर अपने हाथो से उनकी सेवा कर परिवार को दूध मक्खन खिलाने के बाद बिक्री का शुरू किया। इसके बाद जानवरो की संख्या बडी तो दूध का कारोबार आगे बढाया। और 2005 मे इसके लिये पहली बार गोकूल पुरूस्कार से नवाजा गया। इसके बाद बिटाना लगातार जानवरो की संख्या बढाती गयी और दूध के कारोबार को बढाती गयी। जिसके लिये लगातार अब बिटाना को 11 बार गोकूल पुरूस्कार से नवाजा जा चुका है।
राष्ट्रपति भी कर चुके सम्मानित
अभी 14 जनवरी को कानपुर मे सीएसए विवविद्यालय मे अयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार मे राष्ट्रपति रामनाथ कोंवंद ने बिटाना को उत्कृष्ट कृषक सम्मान से नवाजा है।
महिलाएं बिटाना को मानती है आइडियल
निगोहा की रामरती, सुमन, संगीता, राजेवरी, सुन्दारा,सहित दर्जनो के अलावा लखीमपुर, बलिया, उन्नाव, बरेली, रायबरेली, सीतापुर, से महिलाये आकर बिटाना से गुर सीखकर अपना करोबार कर रही है।
गऊ सेवा से मिलता है सुकून
बिटाना बताती है कि सुबह 4 बजे उठकर गाय भैसो को चारा देने के साथ अपने दिन की शुरूआत करती है। और खुद ही जानवरो से दूध निकालती है। और उनकी मदद मे उनके पति हरिनाम भी सुबह शाम उनके काम मे हाथ बंटाते है। बिटाना कहती है कि इस काम मे उन्हे पैसो की कमाई तो होती है पर इस काम को करने से उन्हे आत्मिक सुकुन भी मिलता है।
मां के नाम से मिली पहचान
बिटाना के बेटे कार्तिकेय, दत्त्रेय ने बताया कि उनकी मां भले ही कक्षा पांच पास हो पर आज उनकी वजह से पढाई कर नौकरी कर रहे है। और उनके नाम से हम लोगो की पहचान से और इस बात से उन्हे गर्व होता है।