दलित संगठनों के भारत बंद में हिंसा के लिए सरकार जिम्मेदारसीपीआई (एम) उ0प्र0 राज्य सचिव मण्डल ने पुलिस फायरिंग, लाठीचार्ज तथा गिरफ्तारी की निंदा की
लखनऊ। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) उ0प्र0 राज्य सचिव मण्डल ने दलित संगठनों के दो अप्रैल को भारत बंद में हिंसा के लिए केन्द्र और राज्य सरकार को जिम्मेदार मानते हुए पुलिस फायरिंग, लाठीचार्ज तथा गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है।
ज्ञात हो कि एससी/एसटी एक्ट 1989 को सर्वोच्च अदालत ने आदेश पारित कर दंतविहीन कर दिया है। लगता है कि हिन्दी इलाकों मंे दलितों पर अपराधों में तेजी से वृद्धि करने में आग में घी डालने का काम सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने किया है। उक्त आदेश की पुनः सुनवाई याचिका दायर करने मंे केन्द्र सरकार ने देरी की जिससे दलित जनता में आक्रोश पनपा है। भारत बंद में पुलिस फायरिंग में आधा दर्जन से अधिक लोगों की मौत हुई जिसमें से मेरठ व मुजफ्फरनगर में भी एक-एक की मौत हुई है। दर्जनों लोग पुलिस लाठीचार्ज में घायल हुए हैं। सैकड़ों लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
सुप्रीम कोर्ट का यह अप्रिय निर्णय ऐसे समय आया है जब देश में भाजपा शासित राज्यों में दलितों पर होने वाले अपराधों में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। जिनमें उत्तर प्रदेश अव्वल है। योगी सरकार दलितों पर अपराध रोकने में फेल है। सीपीआई (एम) उ0प्र0 राज्य सचिव मण्डल सदस्यगण दीनानाथ सिंह यादव व बी0एल0 भारती ने मांग की है कि एससी/एसटी एक्ट पर दिये गये आदेश पर सुप्रीम कोर्ट में शीघ्र पुनः सुनवाई करायी जाय। भारत बंद में मरे व घायलों के परिजनों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाय। दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाय। गिरफ्तार लोगों को तुरन्त रिहा किया जाय। दलितों पर होने वाले अपराधों को सख्ती से रोका जाय।
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