हमसे जुड़े 9918956492पान की गुमटियों पर अवैध रूप बेचा जा रहा है “लहरी” व “साईं” नाम का नशीला जहर
रफ़ीक़ अहमद
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सहजनवा । शहर सहित गांव की गलियों में बिक रही नशीली वस्तुएं युवाओं की जिंदगी तबाह कर रही है। आज प्राथमिक शिक्षा लेने वाले नैनिहाल को भी गांजे का कश लगाते देखे जा सकता है । हाई क्लास सोसाइटी में जहाँ नशा एक फैशन बन गया है वहीं गरीबों की बस्तियों में रहने वाले नवयुवा भी बीड़ी सिगरेट के कश लगाते खुलेआम देखे जा रहे हैं। हालाँकि इन पर प्रतिबंध तो लग पाना संभव नही है लेकिन जिस वस्तु की बिक्री पर शासन ने रोक लगा रखी है उसकी बिक्री भी प्रतिबंधित नही हो पा रही है।
हम बात कर रहे है गांजा बिक्री जो पुड़ियों में नगर पंचायत की कुछ चुनिंदा गलियों में खुलेआम बेंची जा रही है । सामाजिक मर्यादाओं के बंधन में बंधे होने के कारण ज्यादातर युवा गांजा का नशा कर रहे हैं तो उससे बचने वाले युवा दवाईयों का सेवन करने लगे है। वहीं खांसी की रोक थाम के लिए प्रयोग किये जाने वाले कुछ सिरप युवा अपने नशे की लत को पूरा करने के लिये कर रहे है। इन सबकी विक्री पर प्रतिबंध तो लगाया गया था लेकिन यह प्रतिबंध महज़ कागजों तक ही सीमित होकर रह गया है।
बीते पांच से छः महीनों में एक भी नशे के कारोबारियों पर प्रशासनिक चाबुक नही चलाई गई है। बता दें कि तहसील क्षेत्र में कई वर्षों से गांजा का अवैध कारोबार खुलेआम हो रहा है। गांव-गांव तक फैले नशे के यह व्यापारी तेजी से लोगों के बीच नशा बांट रहे हैं । इस अवैध व्यापार को रोकने के लिए नारकोटिक्स एक्ट बनाया गया है, लेकिन पुलिस व आबकारी विभाग गांजा की बिक्री पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है। शहर से लेकर ग्रामीण अंचल तक फल-फूल रहे इस कारोबार से कई ज़िन्दगियाँ नशे की जद में आ चुकी है।
युवाओं में बढ़ती लत के चलते यह कारोबार खुलेआम चल रहा है, लेकिन इस पर अंकुश लगा पाने में पुलिस महकमा नाकाम साबित हो रहा है। ऐसा नहीं है पुलिस कार्रवाई नहीं करती, लेकिन इसके बाद भी बेखौफ करोबारी नशे के नाम पर मौत के सामान को खुले तौर से बांट रहे हैं। पुलिस कई बार गांजा की भारी भरकम खेप पकड़ कर कारोबारियों को सलाखों के पीछे भी पहुंचा चुकी। बावजूद इसके ये कारोबारी धड़ल्ले से गांजा की थोक व फुटकर बिक्री कर रहे हैं। जब शहर में पुलिसिया कार्रवाई की यह स्थिति है तो गांवों में क्या होगा इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। शहर हो या गांव अवैध गांजा की हर जगह व्यापक पैमाने पर बिक्री हो रही है और अब यह करोडों का कारोबार बन चुका है। अकेले सहजनवां तहसील क्षेत्र में इस समय प्रति माह लाखो रूपये के गांजा का कारोबार हो रहा है। नशा कारोबारियों की मानें तो प्रतिदिन लगभग हजारों का गांजा बिक रहा है।
इतनी बिक्री का एकमात्र कारण यह है कि यह कारोबार या तो पुलिस के संरक्षण में फल-फूल रहा है, या फिर पुलिस को इसकी जानकारी नहीं है। इसका सेवन करने वालों को जहां मौका मिला चढ़ा लेते हैं । अक्सर देखा जाता है कि नशे के आदी व्यक्ति कहीं भी चिलम सुलगाने लगते है, चाहे वह सार्वजनिक स्थान हो या फिर खुला मैदान । इतना ही नही इस तरह का नशा करने वाले लोग सड़क के किनारे भी बैठ कर चिलम चढ़ाते देखे जा सकते हैं। और तो और बाज़ार की कुछ चुनिंदा पान की ऐसी गुमटियां भी है जहाँ पर बिना लाइसेंस के भांग की पुड़िया भी बेची जा रही है, जिसका नाम “लहरी” रखा गया है। जानकारी के अनुसार इस नशे को अधिकतर युवा एवं छोटे तबके के बेरोज़गार लोग कर रहे हैं और ऐसा समय भी आता है की पैसे की तंगी से इनके कदम अपराध की दलदल में चले जाते हैं