कार मैकेनिक ने बनाई  फिल्म एक खेल राजनीति

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कार मैकेनिक ने बनाई  फिल्म एक खेल राजनीति
समाज में व्याप्त बुराइयों व ज्वलंत मुद्दों पर बनेगी तीन और फिल्म ; मनोज कुशवाहा

लखनऊ। कभी किसी को आसमान में टिमटिमाते तारे की तरह किस्मत बुलंदियां तक पहुंच कर चमक जाती है तो कभी किसी के पूरे जीवन को ही अँधेरे में ढकेल देती है. इसे ही कहते हैं किस्मत. न जाने कब पलट जाए और क्या रंग दिखाए कहा नहीं जा  सकता।

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वैसे किस्मत है बड़ी चीज़. बॉलीवुड में ये बहुत काम आती है. अगर आपकी किस्मत अच्छी है तो बेकार होते हुए भी आप टॉप के एक्टर बन सकते हैं, नहीं तो खूबसूरत होने के बाद भी आ फ्लॉप हो सकते हैं.

बुधवार को लखनऊ के यूपी प्रेस कल्ब में विजय इन्टरटेनमेन्ट, लखनऊ के बैनर तले बनने वाली हिन्दी फिल्म ”एक खेल राजनीति के निर्माता  मनोज कुशवाहा  ने प्रेस वार्ता को  सम्बोधित करते हुए बताया कि  हिन्दी फिल्म ”एक खेल राजनीति आगामी 20 अप्रैल से पर्दे पर आने को तैयार है। इस फिल्म की पूरी शूटिंग लखनऊ और आस-पास के क्षेत्रों में की गई है तथा सभी कलाकार भी उत्तर प्रदेश के ही हैं।  इसे पूरी तरह से उत्तर प्रदेश की फिल्म कहा जा सकता है।

श्री कुशवाहा ने बताया कि इस फिल्म में विशेष बात यह भी है कि नायक और नायिका की भूमिका में जहां ऋतुराज सिंह और निकिता सोनी ने बेहतरीन काम किया है वहीं स्वंय मनोज कुशवाहा ने फिल्म लीड रोल ”ठाकुर की भूमिका निभाई है।

श्री कुशवाहा ने बताया कि शीघ् ही 3 और हिन्दी फिल्मों की शूटिंग शुरु करने जा रहे हैं जो समाज में व्याप्त बुराइयों व ज्वलंत मुद्दों पर आधिारित होगी।

फिल्म के निर्माता हैं कार  मैकेनिक

बताते चले कि फिल्म के निर्माता एक कार मैकेनिक हैं । एक कार मैकेनिक के जज्बे का परिणाम है कि यह फिल्म मनोज कुशवाहा पेशे से तो एक कार मैकेनिक हैं जिनके अन्दर एक कलाकार और सृजन का बीज पनप रहा था और उन्होने अपने अथक परिश्रम, समर्पण और त्याग के बल पर अनहोनी सी बात को सम्भव दिखाया। मनोज कुशवाहा अपनी  मेहनत का एक-एक पैसा जोड़कर एक ऐसे क्षेत्र में किस्मत आजमाने का मन बना डाला जहां बड़े-बडा़ें की हिम्मत नहीं पड़ती। बिना किसी पर्व अनुभव, बिना किसी सरकारी मदद के उन्होने अकेले दम पर यह सब कर दिखाया। फिल्म की कहानी समाज में नशा खोरी और राजनीति को खूल बनाने व समझने वालों पर करारा प्रहार करती है, फिल्म में ग्रामीण परिवेक्ष को बेहतरीन नियांकन गया किया है।

फ़िल्म समीक्षा एक नजर में
फ़िल्म के निर्माता मनोज कुशवाहा बताते है कि फ़िल्म में यह दर्शाया गया है कि कैसे एक इंसान मजबूर होता है कि वह गलत रास्ते को अपनाए। फ़िल्म में बाहुबली ठाकुर का किरदार निभा रहे मनोज कुशवाहा ने बताया कि नशेखोरी में पड़े ठाकुर के बेटे निकिता की हत्या कर देते है। इसके बाद निकिता का भाई आगे चलकर गुंडे का रूप लेता है और ठाकुर और उसके बेटो से बदला लेता है। इसके लिए वो पोलिटिकल सहारा भी लेता हैं। फ़िल्म की कहानी तो मुख्य रूप से यही है लेकिन फिर भी फ़िल्म में मशाला भरपूर है। देशी धुन पर बने गीतों से भी फ़िल्म को सजाया गया है। निर्माता मनोज कुशवाहा ने बताया कि पूरा प्रयास किया गया है कि फ़िल्म के माध्यम से वास्तविकता परोसी जा सके और समाज को आईना दिखाने का काम इस फ़िल्म के जरिये किया जा सके।
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