Saturday, April 20, 2024
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यह प्रयास तब तक चलता रहेगा जब तक महिलाएं पूर्ण रुप से खुद की प्रतिभाओं को पहचानना शुरू ना कर दे।…

स्वर रोजगार का सृजन करती है संस्था
रिटायर्ड प्रोफेसर डाक्टर साबिरा हबीब के दिशा निर्देश मॆं नताशा पालिक्राफ्ट एंड एजुकेशन सेंटर पिछले 25 वर्षों से समाज में आर्थिक रूप से जूझ रही महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बिंदु की तरह साबित होती रही है।
महिलाएं एवं लड़कियां यहां निशुल्क रूप से सिलाई कढ़ाई की ट्रेनिंग लेती हैं।सीखने के बाद सर्वप्रथम घर के कपड़े तथा उसके बाद अपने आस पड़ोस के कपड़ों में सिलाई कढ़ाई करना शुरू करती हैं। इस प्रकार से पहले तो घर के सिलाई कढ़ाई के खर्चों में बचत होती है वही आस पड़ोस के कपड़े सिलने पर आमदनी भी होती है।
महिला सशक्तिकरण में डॉक्टर साबिरा हबीब जी की राय
डॉ छाबरा हबीब जी के अनुसार महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता जरा भी नहीं है क्योंकि समाज में महिलाएं पहले से ही सशक्त हैं बस थोड़े मार्गदर्शन की जरूरत है, उनके अंदर छुपे हुए प्रतिभाओं को जगाने की उनका कहना है कि उनका यह प्रयास तब तक चलता रहेगा जब तक महिलाएं पूर्ण रुप से खुद की प्रतिभाओं को पहचानना शुरू ना कर दे।
पहले संस्था में खुद ली ट्रेनिंग अब 15 साल से उसी संस्था में दे रही है अन्य लड़कियों को शिक्षा
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क्षेत्र में ही रहने वाली अल्ताफ ने करीब 15 वर्ष पूर्व में संस्था से सिलाई कढ़ाई की ट्रेनिंग ली थी सीखने के बाद मन में ठानी कि अब मैं औरों को सिखाऊंगी और नतीजा यह है कि आज उसी नताशा पालिक्राफ्ट  एजुकेशन सेंटर में अल्ताफ पिछले 15 वर्षों से संस्था में आने वाली लड़कियों को महिलाओं को सिलाई कढ़ाई की ट्रेनिंग दे रहे हैं।
ट्रेनिंग होती है पूरी तरह से निशुल्क…………
आमतौर पर देखा जाता है यदि कोई संस्था निशुल्क ट्रेनिंग दे रही है तो अपने पास से कोई सामान नहीं देती लेकिन नताशा पॉलिग्राफ एंड एजुकेशन सेंटर में जो महिलाएं तथा  लड़कियां सिलाई कढ़ाई सीखते हैं वहां उन्हें जरूरी सामान जैसे की कैंची कपड़े सुई धागा सभी चीज उपलब्ध कराई जाती है वह भी निशुल्क रूप से। समाज सेविका अनूपमा सिंह ने भी किया बुटीक शुरू करने वाली महिलाओ का उत्साह वर्धन
अनूपमा फाउंडेशन कि डायरेक्टर अनूपमा सिंह जी ने मंगलवार को बुटीक शुरू करने वाली महिलाओ के बुटीक मॆं पहुँचकर उनका उत्साह वर्धन करने के साथ ही बुटीक से वस्त्र भी खरीदा।

बुटीक शुरू करने वाली अंजू तथा पूनम गुप्ता कहती है कि इस काम को शुरू करने के लिये वो प्रोफेसर डाक्टर साबिरा हबीब जी कि आभारी है जिनके मार्गदर्शन मॆं आज यह सम्भव हो पाया है।

 

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