अहमदाबाद का मारेंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल बना पश्चिम भारत में हार्ट ट्रांसप्लांट का सर्वोत्तम केंद्र

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• मारेंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल, अहमदाबाद बड़ी संख्या में मरीजों के हार्ट ट्रांसप्लांट के मामले में देश में तीसरे स्थान पर है
• भारत और पूरे एशिया में पहला ब्लडलेस हार्ट ट्रांसप्लांट मारेंगो सीआईएमएस अस्पताल में किया गया था

लखनऊ: अहमदाबाद के मारेंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल ने हार्ट ट्रांसप्लांट के सर्वोत्तम केंद्र का दर्जा हासिल किया है, जहाँ पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाली बेहतरीन चिकित्सकों की टीम मौजूद है। डॉक्टरों की टीम हर साल दोहरे अंकों में मरीजों का ट्रांसप्लांट करती है, और इसी वजह से उन्हें दुनिया भर में यह ख्याति अर्जित की है। अस्पताल में डॉक्टरों की टीम की कमान हार्ट ट्रांसप्लांट प्रोग्राम के डायरेक्टर, डॉ. धीरेन शाह संभाल रहे हैं।
पिछले चार से पांच दशकों में हार्ट फेल्योर के अंतिम चरण से जूझ रहे लोगों के इलाज के लिए हार्ट ट्रांसप्लांट सबसे बेहतर तरीके के रूप में उभर कर सामने आया है। बीते 10 सालों में पूरी दुनिया में हार्ट ट्रांसप्लांट कराने वाले मरीजों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी नज़र आई है, जिसके तहत दुनिया भर में 300% से अधिक की वृद्धि दर्द की गई जबकि केवल अमेरिका में बढ़ोतरी का आंकड़ा 400% को पार कर गया। विशेष रूप से 1980 के दशक के बाद से पश्चिमी दुनिया में, खास तौर पर उत्तरी अमेरिका में हार्ट ट्रांसप्लांट की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जहाँ हर साल ट्रांसप्लांट करने वाले मरीजों की संख्या 3000 से 4000 के बीच थी। हालाँकि फिलहाल यह प्रगति स्थिर हो चुकी है, जिसकी सबसे बड़ी वजह दान के लिए अंगों की उपलब्धता में कमी है।
भारत में हार्ट ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया 1994 में ही शुरू हो चुकी थी, लेकिन इसके बावजूद 2010 से पहले तक हार्ट फेल्योर के अंतिम चरण से जूझ रहे मरीजों के इलाज के लिए उच्च-स्तरीय सर्जरी सबसे पसंदीदा विकल्प नहीं बन पाई थी। सच तो ये है कि, भारत सरकार द्वारा मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम पारित किए जाने के लगभग 25 सालों के बाद भी वर्ष 2019 तक भारत में सिर्फ 1000 मरीजों का हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया था। लेकिन अब भारत गुणवत्ता वाली और बेहद किफायती एवं सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए पूरी दुनिया में बेहतर स्थिति में है और मेडिकल ट्रीटमेंट सॉल्यूशन उपलब्ध कराने के मामले में हम सबसे पसंदीदा डेस्टिनेशन के तौर पर उभर रहे हैं।
हार्ट ट्रांसप्लांट प्रोग्राम के डायरेक्टर, डॉ. धीरेन शाह कहते हैं, “हार्ट फेल्योर के अंतिम चरण से जूझ रहे मरीजों के लिए अब हार्ट ट्रांसप्लांट सबसे पसंदीदा विकल्प बन गया है, जिसके कई कारण हैं। अक्सर हार्ट ट्रांसप्लांट ऐसे मरीजों की जिंदगी बचाने का इकलौता सहारा होता है, जिन पर हर तरह का इलाज और दवाइयां बेअसर हो चुकी हैं। यह सर्जिकल प्रक्रिया मरीज के दिल को सामान्य रूप से काम-काज करने में सक्षम बनाकर उनके जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाती है, और इस तरह वे सारी गतिविधियां बड़े आराम से कर पाते हैं जिन्हें वे पहले कर पाने में असमर्थ थे। हार्ट ट्रांसप्लांट करने वाले मरीज संभावित तौर पर लंबे समय तक स्वस्थ रहते हैं और रोग के लक्षण भी ठीक हो जाते हैं, खास तौर पर जब ट्रांसप्लांट सर्जरी सफल होती है। नया हार्ट लगाने के बाद थकान, साँस फूलना और साँस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दूर हो जाते हैं, जिससे मरीजों के लिए बेहतर गुणवत्ता वाले जीवन का द्वार खुल जाता है।”
हार्ट ट्रांसप्लांट के मामले में गुजरात राज्य सबसे आगे है। पिछले कुछ सालों में अंगदान में लगातार सुधार हो रहा है, और इसी वजह से गुजरात ऑर्गन ट्रांसप्लांट के क्षेत्र में अग्रणी बन गया है। आंकड़े बताते हैं कि दक्षिण भारत में अंगदान सबसे अधिक था और इसी वजह से अंगदान और ट्रांसप्लांट के क्षेत्र में दक्षिण भारत के अस्पतालों का बोलबाला था। लेकिन धीरे-धीरे लोगों में जागरूकता बढ़ी है, जिसकी वजह से मिथक और मन के सारे वहम दूर हो गए हैं। अब लोग बड़ी संख्या में मानवता की भलाई के इरादे से अपने परिवार के मृत सदस्य के अंगों को दान करने के लिए आगे आ रहे हैं।
डॉ. धीरेन शाह ने आगे कहा, “अहमदाबाद के मारेंगो सीआईएमएस अस्पताल को साल 2016 में हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए लाइसेंस मिला और 19 दिसंबर, 2016 को गुजरात में पहला हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया था। यकीनन हार्ट ट्रांसप्लांट हर तरह की सर्जरी में सबसे ज्यादा लोकप्रिय और उत्कृष्ट है, और इसकी शुरुआत के साथ ही राज्य के कोने-कोने में अंगदान के प्रति जागरूकता तेजी से बढ़ी है। साल 2017 से 2019 के बीच, गुजरात में मृतकों के अंगदान में लगभग 20% की बढ़ोतरी हुई। मारेंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल उस वक्त भी गुजरात में हार्ट ट्रांसप्लांट करने वाला एकमात्र अस्पताल था और इलाज करने वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही थी। जब 2020 में कॉविड-19 के दौर में लोगों में अंगदान की भावना बहुत अधिक बढ़ गई थी। लॉकडाउन के दौरान भी, गुजरात ने महामारी के बीच भारत का पहला मृतक अंगदान किया, जिसके तहत मृतक का हार्ट, लीवर और किडनी प्राप्त किया गया था। गुजरात में मृतक अंगदान साल 2020 में 36 की तुलना में दोगुना होकर साल 2021 में 70 तक पहुंच गया, साथ ही साल 2020 और 2021 में दान किए गए अंगों की संख्या क्रमशः 110 से बढ़कर 223 अंग हो गई।”
सिविल अस्पताल, अहमदाबाद ने दो साल की अवधि के भीतर 100 मृतकों के अंग दान किए, जिनमें 77 लीवर, 152 किडनी, 23 हार्ट और 18 लंग्स दान किए गए।
फिलहाल देश में हार्ट ट्रांसप्लांट सेंटर के तौर पर पंजीकृत केंद्रों की संख्या 76 है, जहां हार्ट ट्रांसप्लांट किया जाता है। इनमें से भारत में केवल 5-8 केंद्र ही सालाना दोहरे अंक में मरीज का हार्ट ट्रांसप्लांट करते हैं। मारेंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल भी उनमें से एक है।
कोविद-19 की भयंकर दूसरी लहर के बावजूद, साल 2021 में अहमदाबाद के मारेंगो सीआईएमएस अस्पताल में 14 हार्ट ट्रांसप्लांट किए गए, जिनमें से 9 सर्जरी तो साल के आखिरी दो महीनों में किए गए थे। वास्तव में, दिसंबर 2021 में सिर्फ 6 दिनों के भीतर तीन मरीजों का हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया था। गुजरात में अंगदान का यह खूबसूरत सिलसिला साल 2022 में भी जारी रहा, और सिर्फ 8 महीने की अवधि में 100 मृतकों के अंगदान के जादुई आंकड़े तक पहुँच गया। इसके बाद गुजरात को देश में सर्वाधिक मृतक अंगदान वाले राज्यों में से एक घोषित किया गया। भारत में मृतक अंगदान कार्यक्रम में मेडिकल कॉलेज का योगदान भी अनुकरणीय रहा है।

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