अवधनामा संवाददाता
जलालपुर, अम्बेडकरनगर इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद। जब जब कर्बला की शहादत को बयां किया जाएगा इस्लाम जिंदा होता रहेगा। यह बातें सोमवार को मौलाना सैयद शारिब अब्बास ने कही। जलालपुर तहसील क्षेत्र के कटघर मूसा गांव स्थित इमामिया मस्जिद में सैयद नैयर अब्बास की जानिब से आयोजित उनके वालिद सैयद अलमदार हुसैन (लल्लन) मरहूम की मजलिसे छमाही को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन ने इंसानियत को बचाने के लिए मदीना छोड़ा। छोटे से काफिले के साथ कर्बला पहुंचे। बादशाह यजीद ने उस समय इस्लाम को बदलने की कोशिश की तो इमाम हुसैन ने 10 मोहर्रम को अपने 72 साथियों के साथ शहादत देकर इस्लाम व इंसानियत को कयामत तक बचा लिया। दौराने मजलिस मौलाना ने कहा कि युवाओं की जिम्मेदारी है कि वे इमाम हुसैन के आदर्शों पर चलकर समाज व देश के विकास में अपना योगदान दें। कोई ऐसा काम ना करें जिससे किसी को ठेस पहुंचे। लोगों तक इंसानियत का पैगाम दें। अंत में मौलाना ने जनाबे फातेमा जहरा के मसाएब पढ़कर मजलिस में मौजूद मोमनीन को भावुक कर दिया।