मजलिसे इंसान को बेदार बनाती है : मौलाना कल्बे रुशेद

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अवधनामा संवाददाता

अंजुमन गुलदस्ता मातम रजि० हल्लौर की दूसरी मजलिस का हुआ आयोजन

 

डुमरियागंज सिद्धार्थनगर। इंसान को बेदार तो हो लेने दो हर कौम पुकारेगी हमारे है हुसैन। इसका मतलब है कि इंसान की ज़रूरत है और दूसरे बेदार इंसान की ज़रूरत है। ये मजलिसे इंसान को बेदार बनाती है दूसरे इंसान को बेदार बनाती है हम सब इंसान है नहीं, हम सब को इंसान बनना पड़ेगा। इंसान उसे कहते है जिसमे सिफ़त पाई जाए ऐब न पाया जाए। इंसान की एक खास सिफ़त के साथ, वो सिफ़त है कर्बला।
उक्त उदगार शनिवार शाम तहसील क्षेत्र के उपनगर हल्लौर स्थित वक्फ शाह आलमगीर सानी इमामबाड़े कला में अंजुमन गुलदस्ता मातम रजि० द्वारा आयोजित दस दिवसीय सालाना मजलिस की दूसरी मजलिस को सम्बोधित करते हुए मौलाना कल्बे रुशेद ने कही। उन्होंने कहा कि हमारे यहाँ मिम्बर से जो भी बोला जाता है सच बोला जाता है और हमारा सच इतना मजबूत है हमारे मिम्बर से बोला जाने वाला सच इतना मजबूत है हुकूमते खिलाफ रही बादशाह खिलाफ रहा अदालतें खिलाफ रहा जज खिलाफ रहा सबकुछ खिलाफ रहा वह तारीख बदल सके हमारी दलील नही बदल सके। हमने पहले दिन कहा कि बादे फ़िदक ज़हरा का था और है और रहेगा कचहरिया बदली जजे बदले लेकिन हमारी दलीलें नही बदल पाए। क्यों इसलिए हम सच बोलते थे सच बोलते हैं और सच बोलते रहेंगे। इल्मे अज़ादारी ही नही बल्कि मारेफ़त अज़ादारी भी कहते हैं हमारे यहाँ सबसे बड़ी ताकत मिम्बर की है। अंत मे कर्बला के शहीदों के दर्दनाक मसायब बयान किया तो हर तरफ रोने की आवाज़ बुलंद रही। मजलिस से पूर्व खुर्शीद आरके के मरसिया पेश किया। संचालन अफसर हल्लौरी ने किया। मजलिस के दौरान मौलाना तफ़सीर हसन, डॉ वज़ाहत हुसैन, काज़िम रज़ा, ताकीब रिज़वी, बेताब हल्लौरी, एडवोकेट कामियाब हैदर, रेयाज, जलाल, जमाल, नायाब अहमद, मनव्वर रज़ा, सहजाद, हसन जमाल, शादाब संजू, नफीसुल हसन, राहिब, रज्जन वकील, अलमदार हुसैन, इं मोहम्मद मेंहदी, शमशाद, आले रजा सहित ताम4 लोग मौजूद रहे।

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