महाराष्ट्र बदलाव की ओर

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एस.एन.वर्मा
मो.7084669136

महाराष्ट्र के गठबन्धन सरकार में कुछ विरोधभास उभर रहा है खासकर शिवसेना की रवैया की वजह से शिवसेना हिन्दुत्व का अम्बलदार भी बनी रहना चाहती है साथ ही कुर्सी बचाये रखने के लिये गठबन्धन पार्टियों के साथ सेक्यूलर बने रहने की छवि भी गढ़ने में लगी है। ऐसा न हो माया मिलेन रामा पर यह तो दावे के साथ कहा जा सकता है कि भाजपा को छोड़ अन्य दलों के साथ गठबन्धन बनाकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पाने के बाद शिवसेना प्रमुख मे बदलाव आया है। इस समय हिन्दुत्व लहार कुछ जादा मुखर हो उठा है।
यह सब देखकर लम्बी निष्क्रियता के बाद एकाएक राज ठाकरे जाग उठे है और लगता है अब लम्बी पारी खेलने के इरादे से उतरे है। इस समय इनकी जनसमाओं जो भीड़ जुट रही है उसे देख राजनीतिक समीक्षको की निगाह उन पर टिक गयी है। लोगों में भी चर्चा का विषय बन रहे है। जाहिर शिवसेना को इससे तकलीफ हो रही है।
राज ठाकरे ने पारी की शुरूआत मस्जिदों में लाउडस्पीकरों की आवाज़ कम करने के लिए तथा अवैध लाउडस्पीकरों को हाटाने की मांग को लेकर किया है। चेतावनी दी है यदि ऐसा नहीं हुआ तो जगह जगह दुगनी आवाज से हनुमान चालीसा का पाठ करेगे। उनकी चेतावनी का नतीजा है कि अवैध लाउडस्पीकर हट रहे है। मस्जिदों मन्दिरों में लगे लाउडस्पीकरों की आवाज कम की जा रही बाद में पत्रकार वार्ता में राज ठाकरे ने बताया यह लगातार चलने वाला अन्दोलन हैं। पर यह सामाजिक अन्दोलन है धार्मिक अन्दोलन नहीं है।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा है कि जो भी कानून हाथ में लेगा उसके खिलाफ कानूनी कारवाई की जायेगी। पवार किसको डराना चाहते है कानून हाथ में लेने वाले पर पहले कारवाई क्यों नहीं की गई। महाराष्ट्र सरकार ने उद्धव ठाकरे के घर के सामने हनुमान चालीसा पढ़ने की चुनौती देने के लिये सांसद नवजीत राणा और उनके पति विधायक रवि राणा को राजद्रोह के इल्जाम मे ंगिफ्तार करवा दिया। अभी भी दम्पति कोर्ट की कारवाई में उलझे हुये है। पर राज ठाकरे के हनुमान चालीसा पढ़ने की चुनौती देने के बदले में कोई किसी प्रकार का केस दर्ज नहीं करवा फिर गिरफ्तार होने का सवाल ही कहां उठता है। पर इसके पीछे शिवसेना की सोची समझी चाल है। शिवसेना हिन्दुत्व का अपने को अकेला हिमायती मानती है। इसकी वजह से हिन्दू वोट बैंक पर उसकी भारी पकड़ बनी हुई है। अब अगर वह राजठाकरे को पकड़वा कर राजद्रोह का मुकदमा चलवाती है तो उसका हिन्दूवोट बैक निश्चितरूप से कमजोर पड़ जायेगा। यही वजह है कि शिवसेना राज ठाकरे के खिलाफ कुछ नहीं कर पा रही है। राज ठाकरे शिवसेना की इस सोच को समझ रहे है इसीलिये वे पर गठबन्धन सरकार में शामिल होने के बाद उत्साहित है।
राज ठाकरे और शिवसेना की लड़ाई काफी पहले 2006 से शुरू हुई थी में शिवसेना बराबर जीततना खासतौर से मुख्यमंत्री बनने के बाद शिवसेना पहले की शिवसेना नहीं रही उसके चरित्र बदलाव आ गया है। जिस जमीन पर खड़ी है उसमें थोड़ी दरकन आ गई है प्रगतिशील दिखने के लिये शिवसेना की यह कमजोरी राजठाकरे के लिए कुछ सम्भवनायें पैदा कर रही है। इससे लगता है महाराष्ट्र की राजनीति बयार में कुछ बदलाव की भी हवा चल निकली है।
राजठाकरे को लग रहा है इस समय लोहा लाट है यही समय है हथौड़ा मारने का हो सकता है महाराष्ट्र में भाजपा को शिवसेना का हाथ छुड़ा लेना उसे भूल नहीं रहा है और उसने राज ठाकरे को उद्धव ठाकरे के खिलाफ खड़ा करने का चाल चल रही हो। इसलिये राज ठाकरे बयानबाजी पर उतर आये है, कह रहे है शिवसेना हिन्दुत्व आधारित पार्टी नहीं रह गई है। अगर भाजपा राज ठाकरे को उद्ध़व के खिलाफ मजबूत कर पाती है तो उसे राजनितिक साझेदारी का लाभ मिलना तय है।
यह सब अभी अटकले ही है। पर यह तय है महाराष्ट्र की राजनीति में बदलाव आयेगा क्योंकि राज ठाकरे की सभाओं मेे जनता बहुत आ रही है। राज ठाकरे का इतिहास रहा है कि उनकी सभा में आदमी तो बहुत आते है पर उनके पास चुनाव प्रबन्धन में दक्ष लोग नहीं है।
उनसे दर आरोप लगता रहा है कि उसकी विचार धारा स्पष्ठ नहीं है उत्तर भारतीयों की विरोधी भी है। भूमि पुत्र के सिद्धान्त को आगे बढाने के चक्कर में भ्रमित हो गई है। सड़क पर उतर कर राजठाकरे ने कभी कोई अन्दोलन भी नहीं चलाया है। मीडिया के साथ उनके सम्बन्ध कभी अच्छे नहीं रहे। इसीलिये कई योग्यताओं के वावजूद वह महाराष्ट्र की राजनीति में बीच भवर में फंसे रह गये।
अब राज ठाकरे ने अपनी पार्टी में बदलाव लिया है। पहले उनका झन्डा चार रंग का था अब उसे केसरिया रंग दे दिया है। उसमें शिवाजी के राजप्रतीक अंकित है। इस तरह पार्टी के हिन्दुत्व और मराठा स्वामिभान से जोड़ा है। राजठाकरे उत्तर भारतीयों की नारजगी भी दूर करने में लगे हुये है। देश में हिन्दुत्व की लहर भी है। इन सबसे राजठाकरे को समर्थन मिल रहा है। इन सबके बीच अगर भाजपा ने मनसे से राजनीतिक गठबन्धन किया तो शिवसेना कमजोर होगी और राजठाकरे का जनाधार बढ़ेगा और मजबूत होगा।

 

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